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अटल बिहारी वाजपेय की कविता। आजादी अभी अधुरी है

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अटल जी की रचना पन्द्रह अगस्त का दिन कहता है, आजादी अभी अधुरी है      सपने सच होना बाकी हे, रावी की शपथ न पुरी है। जिनकी लाश पर पग धर कर, आजादी भारत आई        वे अब खाना बदोश ,गम की काली बदली ...

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लेखक के बारे में
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Rakesh Prjapati

मै मध्य प्रदेश पुलिस, मे आरक्षक हुं ,पुलिस प्रशिक्षण महाविधालय इंदौर मे बतौर प्रशिक्षक हूं। मै भोपाल, देवास ,ऊजजैन, जबलपुर, मैहर वाली मां शारदा।आदी जगह डियूटी कर लिया हूं। घर इंदौर मे ही है।

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    rekha yadav
    09 अगस्त 2022
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