इस बार तो तुझे गए कितने समय हो गया, तुझको गले लगाए जैसे मुझे एक जमाना हो गया, वीडियो कॉल पर जब नम आंखों और धड़कते दिल से पूछती है वो माँ " बेटा सच बता अब तू कब आएगा ", आ कर मुझे फिर से अपने गले ...
भावुक हृदय से निकली बहुत ही सुंदर कविता। पर शायद ये वियोग कर मां के भाग्य में आता है जब उसके बच्चे पंख पसारे इस दुनियां में उड़ जाते हैं। फिर बस मेहमान की तरह दो चार दिन की अपनी शक्ल दिखा पाते हैं और फिर जल्दी आऊंगा कह कर एक आश्वासन का टुकड़ा उसे थमा कर वापस उड़ जाते हैं।
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भावुक हृदय से निकली बहुत ही सुंदर कविता। पर शायद ये वियोग कर मां के भाग्य में आता है जब उसके बच्चे पंख पसारे इस दुनियां में उड़ जाते हैं। फिर बस मेहमान की तरह दो चार दिन की अपनी शक्ल दिखा पाते हैं और फिर जल्दी आऊंगा कह कर एक आश्वासन का टुकड़ा उसे थमा कर वापस उड़ जाते हैं।
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