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आश्वासन

4.7
218

पूरा घर दुल्हन की तरह सजा हुआ था फिर भी विदाई के वक्त एक अजीब सन्नाटा पसरा हुआ था चारों ओर. नेहा के साथ बाबुल का जर्रा जर्रा रो रहे था. नेहा की माँ उसे चुप कराते हुए वही सीख दुहरा दी जिसे कभी ...

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लेखक के बारे में
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Geeta Raaz

जब तक है अहसास की स्याही कलम में मेरे जारी रहेगा सफर लेखनी का अनवरत.......

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Shweta Kashyap
    20 ஏப்ரல் 2020
    ये कहानियाँ सिर्फ कहानियाँ हीं रह जाती हैं, समाज बदल रहा है पर पुरुष का अहम बराबर बना हुआ है और उसकी तूष्टि करती है हमारी हीं स्त्री वर्ग 😔😔 इस विषय पर जितना भी बोल जाए कम हीं है🙁🙁
  • author
    Abhay Kumar
    20 ஏப்ரல் 2020
    पुरुष की मानसिकता सदियो पहले जो थी, आज भी वही है स्त्री के प्रति। तथाकथित विकसित समाज को आइना दिखाने का एक सार्थक प्रयास।
  • author
    Shweta Kumar
    11 ஜூலை 2022
    sach iss traha ki shaddi mai rahna namukin h kas uss ke parents uski problem samajh paate to Shayad vah Jinda hoti.
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    Shweta Kashyap
    20 ஏப்ரல் 2020
    ये कहानियाँ सिर्फ कहानियाँ हीं रह जाती हैं, समाज बदल रहा है पर पुरुष का अहम बराबर बना हुआ है और उसकी तूष्टि करती है हमारी हीं स्त्री वर्ग 😔😔 इस विषय पर जितना भी बोल जाए कम हीं है🙁🙁
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    Abhay Kumar
    20 ஏப்ரல் 2020
    पुरुष की मानसिकता सदियो पहले जो थी, आज भी वही है स्त्री के प्रति। तथाकथित विकसित समाज को आइना दिखाने का एक सार्थक प्रयास।
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    Shweta Kumar
    11 ஜூலை 2022
    sach iss traha ki shaddi mai rahna namukin h kas uss ke parents uski problem samajh paate to Shayad vah Jinda hoti.