pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

अशिक्षित

4.2
3132

भिक्षावृति में संलग्न दो महिलायें आपस में बतिया रहीं थी - ‘ कजरी ! तेरी किस्मत कितनी अच्छी है तू सिर्फ चार घंटे मॉगती है और मुझसे बहुत ज्यादा कमा लेती है और मुझे देख मै सुबह से लेकर षाम तक हर आने जाने वाले से हाथ जोड़ , पैर पड़-पड़ कर मॉगती हॅू फिर भी तुझसे बहुत पीछे हॅू ।‘ जवाब में कजरी ने इठलाते हुए कहा - ‘ निम्मो ! इसमें किस्मत की कोई बात नही है मेरे मॉगनें और तेरे मॉगनें के तरीके में बहुत अंतर हैं ।‘ ‘ क्या ?‘ ‘ हॉ निम्मो ! तू दिल से मॉगती है और मै दिमाग से ।‘ ‘ मै समझी नही ?‘ ‘ अरे पगली ! ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
मीरा जैन
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ravindra Singh
    02 सप्टेंबर 2021
    वास्तव में हम लोग अनिष्ट के भय से इन लोगों को दान करते हैं। इस का फायदा ये भिखारी उठाते हैं। एक प्रेरक कहानी
  • author
    डॉ. पूनम बनर्जी
    28 जुलै 2024
    ये लोग हमारे डर का फायदा उठाते हैं. भिक्षावृति बंद होनी चाहिए. लिखते रहिए 👍👍
  • author
    Aditya Dubay
    24 मे 2021
    भाषा सुधार की आवश्यकता हैं। श को ष लिखा गया हैं। हिंदी का सम्मान करें।
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ravindra Singh
    02 सप्टेंबर 2021
    वास्तव में हम लोग अनिष्ट के भय से इन लोगों को दान करते हैं। इस का फायदा ये भिखारी उठाते हैं। एक प्रेरक कहानी
  • author
    डॉ. पूनम बनर्जी
    28 जुलै 2024
    ये लोग हमारे डर का फायदा उठाते हैं. भिक्षावृति बंद होनी चाहिए. लिखते रहिए 👍👍
  • author
    Aditya Dubay
    24 मे 2021
    भाषा सुधार की आवश्यकता हैं। श को ष लिखा गया हैं। हिंदी का सम्मान करें।