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ईख चबाती लड़की

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ईख चबाती लड़की जिसकी आवाज में मिठास है जिसके शब्दों में कभी न हारने की एक आस है जो रहे कहीं भी जो हो कोई भी मगर हमारे आस पास है ईख चबाती ऐसी किसी लड़की में कुछ तो खास है कुछ तो खास है जिसके मिजाज में ...

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लेखक के बारे में
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अर्पण कुमार

जन्म: नालंदा,बिहार ;14 फरवरी 1977 लालन-पालन : पटना,बिहार इंटर की पढ़ाई पटना कॉलेज,पटना,पटना विश्वविद्यालय से और बी.ए. एवं एम.ए. आदि की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय से क्रमशः हंसराज कॉलेज एवं हिंदू कॉलेज से ; भारतीय जनसंचार संस्थान,नई दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा एवं अंग्रेजी-हिंदी अनुवाद में स्नातकोत्तर डिप्लोमा दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी अकादमी, दिल्ली से पुरस्कृत कविताएँ,ग़ज़ल, लघु- कथाएँ, आलेख, समीक्षाएँ आदि महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओमें प्रकाशित| ई-मेल[email protected] 1. ‘नदी के पार नदी’ काव्य संग्रह नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली से प्रकाशित| 2. ‘ मैं सड़क हूँ ’ काव्य-संग्रह, बोधि-प्रकाशन,जयपुर से प्रकाशित शिक्षा : एम.ए. (हिंदी),दिल्ली विश्वविद्यालय,दिल्ली एम.ए.(जनसंचार),गुरु जंबेश्वर विश्वविद्यालय,हिसार स्नात्कोत्तर डिप्लोमा( हिंदी-अंग्रेज़ी अनुवाद), दिल्ली विश्वविद्यालय,दिल्ली स्नात्कोत्तर डिप्लोमा( हिंदी पत्रकारिता),भारतीय जनसंचार संस्थान,नई दिल्ली प्रकाशन : कविताएँ,आलेख,कहानियाँ लघुकथाएँ,रिपोर्ताज,व्यक्ति-चित्र ,ग़ज़ल आदि विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कविताएँ : जनसत्ता,हिंदुस्तान,नई दुनिया,कुबेर टाईम्स,अमर उजाला,पॉयनियर साप्ताहिक,बया,कथादेश,नई धारा,कादम्बिनी,गगनांचल,समकालीन भारतीय साहित्य,हरिगंधा,इंद्रप्रस्थ भारती,वीणा, राजस्थान पत्रिका, वागर्थ, वर्तमान साहित्य,भाषा, मधुमती समेत कई कई महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कविताएँ : हिंदी समय, वर्धा में संकलित। कहानियाँ और लघुकथाएँ : भाषा, हरिगंधा आदि में प्रकाशित ग़ज़ल : वीणा,अक्षर पर्व,पाखी में प्रकाशित । पुस्तक समीक्षा : जनसत्ता,हिंदुस्तान,नई दुनिया,पॉयनियर साप्ताहिक,पुस्तक वार्ता,कथादेश,गगनांचल,इंडिया टुडे,समकालीन भारतीय साहित्य,आजकल, नया ज्ञानोदय, राजस्थान पत्रिका आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित। साक्षात्कार: मनोहर श्याम जोशी,कमलेश्वर,इंदिरा गोस्वामी,रामदरश मिश्र,पद्मा सचदेव,वेद मारवाह,चित्रा मुद्गल ,नासिरा शर्मा, रघु राय समेत कई साहित्यिक एवं साहित्येतर विद्वानों,विशेषज्ञों से लिए साक्षात्कार विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित । उल्लेखनीय भागीदारी : निराला साहित्य पर्व 2002,हिंदी अकादमी,दिल्ली के युवा काव्य-गोष्ठी में काव्य-पाठ । चर्चा : 'नदी के पार नदी' काव्य-संग्रह की समकालीन भारतीय साहित्य ,इंद्रप्रस्थ भारती,आउटलुक,नवभारत टाईम्स आदि में समीक्षाएँ प्रकाशित। ‘मैं सड़क हूँ’ की समीक्षा प्रगतिशील वसुधा, वागर्थ, मधुमती, राजस्थान पत्रिका, कादम्बिनी आदि में प्रकाशित। प्रसारण: आकाशवाणी के दिल्ली एवं जयपुर केंद्र से कविताओं,कहानियों, भेंटवार्ता आदि का प्रसारण दूरदर्शन के जयपुर केंद्र पर साहित्यिक /सांस्कृतिक कार्यक्रम में भागीदारी। जन्मशती संस्मरण: उपेंद्रनाथ अश्क,नागार्जुन एवं फैज़ अहमद फैज़ पर आलेख नई दुनिया,वीणा,दीपशिखा 2010 (राजभाषा प्रकोष्ठ,इग्नू ,नई दिल्ली) में प्रकाशित। संपर्क : अर्पण कुमार, बी-1/6, एस.बी.बी.जे. अधिकारी आवास, ज्योति नगर, जयपुर , पिन: 302005

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    Yojna Kalia
    14 नवम्बर 2015
    अर्पण कुमार की कविताओं में उन लड़कियों को स्थान मिलता है जो वास्तव में समाज के बंधनों सेमुक्ति के गीत गाती हुई सहज भाव  से आगे बढ़तीं हैंउनके लिए हर वक्त कटुता से शुरू जीवन को मिठास में बदलने की चुनौती होती है।अपनी आजादी के लिए निरंतरमीठा व्यवहार ही उसे विषम परिस्थितियों से बाहर निकलने मे सहायक होता है।तमाम बंधन भी उसके लिए प्रेरणा बन जाते हैं।कविता में पगन्ना प्रतीक बना है सुख का।गन्ने की मिठास ओर जीवन की खुशियां विषपान के बिना संभव नहीं।अंत में रचनाकार एक नये विमर्श को जीवन देते हुए से प्रतीत  होते  हैँ।
  • author
    Manjit Singh
    06 जून 2020
    ganna chabati ladki to gaon me dikhti he fir bhi kavita saraahniy he. ladki ke bholepan, foohadpan ke bavjood vo samajhdar shikshit lagti he par dharmik sanskar shunya he
  • author
    01 मई 2021
    awesome 👍👍😃😃👍
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    Yojna Kalia
    14 नवम्बर 2015
    अर्पण कुमार की कविताओं में उन लड़कियों को स्थान मिलता है जो वास्तव में समाज के बंधनों सेमुक्ति के गीत गाती हुई सहज भाव  से आगे बढ़तीं हैंउनके लिए हर वक्त कटुता से शुरू जीवन को मिठास में बदलने की चुनौती होती है।अपनी आजादी के लिए निरंतरमीठा व्यवहार ही उसे विषम परिस्थितियों से बाहर निकलने मे सहायक होता है।तमाम बंधन भी उसके लिए प्रेरणा बन जाते हैं।कविता में पगन्ना प्रतीक बना है सुख का।गन्ने की मिठास ओर जीवन की खुशियां विषपान के बिना संभव नहीं।अंत में रचनाकार एक नये विमर्श को जीवन देते हुए से प्रतीत  होते  हैँ।
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    Manjit Singh
    06 जून 2020
    ganna chabati ladki to gaon me dikhti he fir bhi kavita saraahniy he. ladki ke bholepan, foohadpan ke bavjood vo samajhdar shikshit lagti he par dharmik sanskar shunya he
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    01 मई 2021
    awesome 👍👍😃😃👍