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अरमान

4.1
615

ऐ दोस्त गर तुझे रौशनी पसंद ना थी , तो हम भी तेरे दर पे उजाला न करते , अगर मेरा साथ गंवारा न था , तो हम भी ये हाथ तेरे हाथ में न रखते, उम्मीदे थी बहुत ज़िन्दगी से , गर अरमान न होते ' तो सपने संवरा हम ...

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समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Manjit Singh
    08 जुलाई 2021
    सुंदर कविता
  • author
    Manisha Kushwaha
    10 अप्रैल 2020
    Nice
  • author
    Somde Somuu
    21 अप्रैल 2019
    mst
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  • author
    Manjit Singh
    08 जुलाई 2021
    सुंदर कविता
  • author
    Manisha Kushwaha
    10 अप्रैल 2020
    Nice
  • author
    Somde Somuu
    21 अप्रैल 2019
    mst