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ओ रे गुड्डी !!!

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7460

जब भी इंडिया आती हूँ सोचती हूँ इस बार तो हाथ भर रंग बिरंगी कांच की चूरियां पहनूंगी, पर जब मौका आता है तो उस वक़्त याद नहीं रहता. पिछली बार कब कांच की चूड़ियाँ पहनी थीं, याद नहीं पड़ता. शायद अपनी शादी ...

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पूनम डोगरा
समीक्षा
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  • author
    21 फ़रवरी 2018
    मन छू गयी । अक्सर बच्चों में ऐसी कुट्टी हो जाती है पर कसक मन में बनी रहती है -काश कुट्टी ना हुई होती ।
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    Husna Ashish
    09 दिसम्बर 2017
    Pyari kahani h....har shahr me aisi guddi aur uski dost hain jo piche hi rah gayin
  • author
    Kamlesh Patni
    18 मार्च 2021
    बचपन के संस्मरण आज भी मन को गुदगुदा जाते है।
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    21 फ़रवरी 2018
    मन छू गयी । अक्सर बच्चों में ऐसी कुट्टी हो जाती है पर कसक मन में बनी रहती है -काश कुट्टी ना हुई होती ।
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    Husna Ashish
    09 दिसम्बर 2017
    Pyari kahani h....har shahr me aisi guddi aur uski dost hain jo piche hi rah gayin
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    Kamlesh Patni
    18 मार्च 2021
    बचपन के संस्मरण आज भी मन को गुदगुदा जाते है।