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ओ रे गुड्डी !!!

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4.2

जब भी इंडिया आती हूँ सोचती हूँ इस बार तो हाथ भर रंग बिरंगी कांच की चूरियां पहनूंगी, पर जब मौका आता है तो उस वक़्त याद नहीं रहता. पिछली बार कब कांच की चूड़ियाँ पहनी थीं, याद नहीं पड़ता. शायद अपनी शादी ...