अर्धनारीश्वर । दुआ या बद्ददुआ। महेश अपने साले की शादी में गया हुआ था। वहां उसका बहुत ही सम्मान हुआ, होता भी क्यूँ नही घर का बड़ा दामाद जो ठहरा। किन्तु उसके सम्मान का कारण था उसका व्यवहार ,बोलचाल सबको ...
सही कहानी ओर दिल को छूती कहानी है मित्र कोई भी अपनी मर्जी से विकलांग या कमजोर या किन्नर नही बनता लेकिन दुनिया मे कमजोर की कोई भी कदर नही है चाहे वह विकलांग हो गरीब हो या किन्नर हो भगवान ने हमे दर्द दिय्या है हम अपनी मर्जी से विकलांग नही बने मैं खुद सेरेबल पॉलसी के कारण 70 % विकलांग हु ओर समाज का दर्द झेलता हु मेरी वाइफ ओर बेटी भी विकलांग है
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सम्मान तक तो ठीक है लेकिन कुछ सम्मान तो किन्नरों को भी घरवालों का रखना चाहिए ना। क्योंकि शगुन के नाम पर बड़ी रकम की मांग करना और कम शगुन देने पर भौंडा प्रदर्शन करने से कौनसा मान सम्मान अर्जित होता है।ये तो एक तरह से गुंडई और धमकाने वाला काम है। घरवालों का तो आनाकानी करना लाजिमी है क्योंकि किन्नर उनकी गाढ़ी कमाई का पैसा मुफ्त में चाहते हैं जिस पर उनका कोई हक नहीं होता।
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kahani theek h pr kya captan sahab kya dusari duniya se aae h or mahesh ek akela hi gyan bantne k lie paida hua h, sadharan si baat ka jyada hi mahima Mandan kiya gya h yh to h kahani ka nishpaksh samiksha. rhi baat mahadev se tulna ki mujhe shi nhi lgi yh baki apki samajh h. or jha tk kinnar ki dua bddua ki baat h kisi ki maot ko to innse my jodi inka kya lena dena , insaan man kr bhi to samman de sakte ho dr kyo bta rhe ho .
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