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अर्धनारीश्वर।

4.5
81509

अर्धनारीश्वर । दुआ या बद्ददुआ। महेश अपने साले की शादी में गया हुआ था। वहां उसका बहुत ही सम्मान हुआ, होता भी क्यूँ नही घर का बड़ा दामाद जो ठहरा। किन्तु उसके सम्मान का कारण था उसका व्यवहार ,बोलचाल सबको ...

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लेखक के बारे में
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Vijay अटकाण

जिंदगी में पता नही कब दबी हुई इच्छाएँ पूरी हो जाये।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    25 मार्च 2021
    सही कहानी ओर दिल को छूती कहानी है मित्र कोई भी अपनी मर्जी से विकलांग या कमजोर या किन्नर नही बनता लेकिन दुनिया मे कमजोर की कोई भी कदर नही है चाहे वह विकलांग हो गरीब हो या किन्नर हो भगवान ने हमे दर्द दिय्या है हम अपनी मर्जी से विकलांग नही बने मैं खुद सेरेबल पॉलसी के कारण 70 % विकलांग हु ओर समाज का दर्द झेलता हु मेरी वाइफ ओर बेटी भी विकलांग है
  • author
    राजा चौधरी
    23 एप्रिल 2021
    सम्मान तक तो ठीक है लेकिन कुछ सम्मान तो किन्नरों को भी घरवालों का रखना चाहिए ना। क्योंकि शगुन के नाम पर बड़ी रकम की मांग करना और कम शगुन देने पर भौंडा प्रदर्शन करने से कौनसा मान सम्मान अर्जित होता है।ये तो एक तरह से गुंडई और धमकाने वाला काम है। घरवालों का तो आनाकानी करना लाजिमी है क्योंकि किन्नर उनकी गाढ़ी कमाई का पैसा मुफ्त में चाहते हैं जिस पर उनका कोई हक नहीं होता।
  • author
    Preeti Tiwari
    17 एप्रिल 2021
    kahani theek h pr kya captan sahab kya dusari duniya se aae h or mahesh ek akela hi gyan bantne k lie paida hua h, sadharan si baat ka jyada hi mahima Mandan kiya gya h yh to h kahani ka nishpaksh samiksha. rhi baat mahadev se tulna ki mujhe shi nhi lgi yh baki apki samajh h. or jha tk kinnar ki dua bddua ki baat h kisi ki maot ko to innse my jodi inka kya lena dena , insaan man kr bhi to samman de sakte ho dr kyo bta rhe ho .
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    25 मार्च 2021
    सही कहानी ओर दिल को छूती कहानी है मित्र कोई भी अपनी मर्जी से विकलांग या कमजोर या किन्नर नही बनता लेकिन दुनिया मे कमजोर की कोई भी कदर नही है चाहे वह विकलांग हो गरीब हो या किन्नर हो भगवान ने हमे दर्द दिय्या है हम अपनी मर्जी से विकलांग नही बने मैं खुद सेरेबल पॉलसी के कारण 70 % विकलांग हु ओर समाज का दर्द झेलता हु मेरी वाइफ ओर बेटी भी विकलांग है
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    राजा चौधरी
    23 एप्रिल 2021
    सम्मान तक तो ठीक है लेकिन कुछ सम्मान तो किन्नरों को भी घरवालों का रखना चाहिए ना। क्योंकि शगुन के नाम पर बड़ी रकम की मांग करना और कम शगुन देने पर भौंडा प्रदर्शन करने से कौनसा मान सम्मान अर्जित होता है।ये तो एक तरह से गुंडई और धमकाने वाला काम है। घरवालों का तो आनाकानी करना लाजिमी है क्योंकि किन्नर उनकी गाढ़ी कमाई का पैसा मुफ्त में चाहते हैं जिस पर उनका कोई हक नहीं होता।
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    Preeti Tiwari
    17 एप्रिल 2021
    kahani theek h pr kya captan sahab kya dusari duniya se aae h or mahesh ek akela hi gyan bantne k lie paida hua h, sadharan si baat ka jyada hi mahima Mandan kiya gya h yh to h kahani ka nishpaksh samiksha. rhi baat mahadev se tulna ki mujhe shi nhi lgi yh baki apki samajh h. or jha tk kinnar ki dua bddua ki baat h kisi ki maot ko to innse my jodi inka kya lena dena , insaan man kr bhi to samman de sakte ho dr kyo bta rhe ho .