pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

अर्द्धनारीश्वर

4.5
33868

‘तुम्हारा नाम क्या है दीपू ?’ – खेलते हुए बच्चे चिल्लाकर पूछते ‘पू उ उ उ दि ‘— दीपू हो हो कर हँसते हुए बड़ी मुश्किल से बोल पाता उत्तर सुनकर खेलते – खेलते बच्चों का वह झुंड ताली बजा – बजाकर हंसने ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

शिक्षा – एम्.ए. ( हिन्दी ) सम्प्रति – कंटेंट एडिटर, प्रतिलिपि कॉमिक्स प्रकाशित पुस्तकें – तिराहा,बेगम हज़रत महल (उपन्यास ) अनतर्मन के द्वीप, पॉर्न स्टार और अन्य कहानियां – कहानी संग्रह कई कवितायें ,कहानियाँ एवं लेख पत्र - पत्रिकाओं और कई ब्लॉग्स पर प्रकाशित।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    प्रदीप कुशवाहा
    31 ਦਸੰਬਰ 2015
    आदरणीया जी  बहुत ही बढ़िया विषय का चुनाव . कथा क्रम वास्तविक है . ऐसे बच्चों के शिक्षित किये जाने , विवाह , कुंडली तक की घटनाओं का मैं स्वयं साक्षी हूँ .  प्रयास से ऐसे बच्चे में सुधार देखा है . जन जागरण से इसे प्रकाश में लाया जाना आवश्यक है . एक युगल के ३ बच्चे हैं .  एक बच्चा विवाह योग्य है . जिसकी शादी की  बात उसके मा बाप जोह रहे हैं .  बहू अपने भाई की इच्छा पूर्ति हेतु ससुराल वापस लौटी. मजबूरी में . क्या कथा में यह  चरित्र और मजबूत न होता जब बहू वापस न जा कर अर्ध नारीश्वर कथा क्रम से दीपू की सादगी /दीवानगी से प्रभावित हो जाती.  अंत बहुत बढ़िया लिखा है .  सादर बधाई स्वीकारें .  इसके मंचन से भी समाज में सन्देश दिया जाना ठीक रहेगा . 
  • author
    Beena Awasthi
    10 ਦਸੰਬਰ 2018
    हाँ यह सच है कि मंदबुद्धि बच्चों को अगर शुरू से ही सही प्रशिक्षण मिलने लगता है तो वे बहुत अच्छा करने लगते हैं। प्रीति की समझदारी से एक घर बरबाद होने से बच गया लेकिन यही कमी अगर किसी में होती तो शायद ही कोई सास, ससुर या पति ऐसी प्रतिक्रिया दे पाते।
  • author
    अंकिता भार्गव
    20 ਮਈ 2017
    कहानी बहुत खूबसूरत है मैम असल जिदगी के करीब भी किन्तु क्या ऐसा जीवन प्रीती जैसी लड़कियों के लिए आसन होता होगा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    प्रदीप कुशवाहा
    31 ਦਸੰਬਰ 2015
    आदरणीया जी  बहुत ही बढ़िया विषय का चुनाव . कथा क्रम वास्तविक है . ऐसे बच्चों के शिक्षित किये जाने , विवाह , कुंडली तक की घटनाओं का मैं स्वयं साक्षी हूँ .  प्रयास से ऐसे बच्चे में सुधार देखा है . जन जागरण से इसे प्रकाश में लाया जाना आवश्यक है . एक युगल के ३ बच्चे हैं .  एक बच्चा विवाह योग्य है . जिसकी शादी की  बात उसके मा बाप जोह रहे हैं .  बहू अपने भाई की इच्छा पूर्ति हेतु ससुराल वापस लौटी. मजबूरी में . क्या कथा में यह  चरित्र और मजबूत न होता जब बहू वापस न जा कर अर्ध नारीश्वर कथा क्रम से दीपू की सादगी /दीवानगी से प्रभावित हो जाती.  अंत बहुत बढ़िया लिखा है .  सादर बधाई स्वीकारें .  इसके मंचन से भी समाज में सन्देश दिया जाना ठीक रहेगा . 
  • author
    Beena Awasthi
    10 ਦਸੰਬਰ 2018
    हाँ यह सच है कि मंदबुद्धि बच्चों को अगर शुरू से ही सही प्रशिक्षण मिलने लगता है तो वे बहुत अच्छा करने लगते हैं। प्रीति की समझदारी से एक घर बरबाद होने से बच गया लेकिन यही कमी अगर किसी में होती तो शायद ही कोई सास, ससुर या पति ऐसी प्रतिक्रिया दे पाते।
  • author
    अंकिता भार्गव
    20 ਮਈ 2017
    कहानी बहुत खूबसूरत है मैम असल जिदगी के करीब भी किन्तु क्या ऐसा जीवन प्रीती जैसी लड़कियों के लिए आसन होता होगा