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अपराधी (कहानी)

4.1
2425

कहानी.... "अपराधी" "सुना सुना देवरू हो कह$ तानि बतिया तनि लिख दिहा ना"...जब परबतिया गाती थी तो लोग मंत्रमुग्ध हो जाया करते थे! सच तो यह है कि परबतिया के कंठ में सरस्वती जी विराजमान थी! मैं ...

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लेखक के बारे में
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अजीत यादव

अभिनेता ...मूलत:उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर से... शिक्षा.. स्नातक! ऱंगकर्म... दिल्ली से! वर्तमान में मुंबई फ़िल्म इंडस्ट्री में बतौर अभिनेता सक्रीय!तमाम पत्र पत्रिकाओं में कहानियाँ, कविताएँ और ग़ज़लें प्रकाशित...

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Go Go Gourav "Writer"
    31 जुलाई 2018
    आपने यह कहानी गाँव की पृष्टभूमि पर लिखी तथा देहाती शब्दों का प्रयोग किया पढ़कर मजा़ आ गया। आशा करता हूँ आपको 10,000 से ज्यादा इस रचना के पाठक मिले।
  • author
    krishna lal
    22 अक्टूबर 2020
    जाति जन्म से नहीं,इसे तो समाज नें बनाया है।आज के समय में जाति पाती का भेद भुलाकरइससे उपर उठना होगा तभी समाज आगे बढ सकता है।
  • author
    Rittika Saxena "Chintu"
    02 अगस्त 2018
    बहुत सोचने के बाद भी कोई समीक्षा नहीं कर पा रही हूं.. कहानी सचमुच बहुत बेहतर लगी लेकिन परबतिया का यूं मरना अखरता रहा..
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    Go Go Gourav "Writer"
    31 जुलाई 2018
    आपने यह कहानी गाँव की पृष्टभूमि पर लिखी तथा देहाती शब्दों का प्रयोग किया पढ़कर मजा़ आ गया। आशा करता हूँ आपको 10,000 से ज्यादा इस रचना के पाठक मिले।
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    krishna lal
    22 अक्टूबर 2020
    जाति जन्म से नहीं,इसे तो समाज नें बनाया है।आज के समय में जाति पाती का भेद भुलाकरइससे उपर उठना होगा तभी समाज आगे बढ सकता है।
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    Rittika Saxena "Chintu"
    02 अगस्त 2018
    बहुत सोचने के बाद भी कोई समीक्षा नहीं कर पा रही हूं.. कहानी सचमुच बहुत बेहतर लगी लेकिन परबतिया का यूं मरना अखरता रहा..