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अप्पी बाई का कोठा

4.5
212138

1. मैं सरकार का छोटा सा मुलाजिम था। घर से हज़ार किलोमीटर दूर नौकरी करने आया था जामनगर । पुलिस विभाग के एस०पी० कार्यालय में एक कांस्टेबल के तौर पे मेरी नियुक्ति हुई थी । एस०पी० साहब जटाशंकर  को ...

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लेखक के बारे में

engineer by compulsion ,writer by choice. मुंशी प्रेमचंद का दीवाना।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    John Talibuddin
    17 സെപ്റ്റംബര്‍ 2020
    एक सुलझे हुए दिमाग़‌ की लिखी हुई कहानी है। उपन्यास का-सा आनंद दे गयी। छोटे-छोटे मोड़ अप्रत्याशित थे,‌ साहसिक भी, सुंदर भी। कथोपकथन में बनावट ‌न थी। पात्रों की कुटिलता और सौम्यता, दोनों ही कथा की सुंदर अभिव्यक्ति का माध्यम बने हैं..........
  • author
    PUSHPENDRA KUMAR SAGAR
    12 സെപ്റ്റംബര്‍ 2020
    एक बार कहानी पढ़नी शुरू की तो पूरी पढ़कर ही रुका। बहुत अच्छी कहानी है।
  • author
    Rajneesh Shrivastav
    09 സെപ്റ്റംബര്‍ 2020
    वाह, कोठा शीर्षक से आपको लेकर वितिष्णा भी हुई पर पता नहीं क्यों पढ़ने लगा, फर्क प्रारंभ किया तो अंत कर के ही थमा यहाँ तक कि आपके अवरोध भी बुरे लगे सच में अति सुंदर कथानक
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    John Talibuddin
    17 സെപ്റ്റംബര്‍ 2020
    एक सुलझे हुए दिमाग़‌ की लिखी हुई कहानी है। उपन्यास का-सा आनंद दे गयी। छोटे-छोटे मोड़ अप्रत्याशित थे,‌ साहसिक भी, सुंदर भी। कथोपकथन में बनावट ‌न थी। पात्रों की कुटिलता और सौम्यता, दोनों ही कथा की सुंदर अभिव्यक्ति का माध्यम बने हैं..........
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    PUSHPENDRA KUMAR SAGAR
    12 സെപ്റ്റംബര്‍ 2020
    एक बार कहानी पढ़नी शुरू की तो पूरी पढ़कर ही रुका। बहुत अच्छी कहानी है।
  • author
    Rajneesh Shrivastav
    09 സെപ്റ്റംബര്‍ 2020
    वाह, कोठा शीर्षक से आपको लेकर वितिष्णा भी हुई पर पता नहीं क्यों पढ़ने लगा, फर्क प्रारंभ किया तो अंत कर के ही थमा यहाँ तक कि आपके अवरोध भी बुरे लगे सच में अति सुंदर कथानक