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" अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बनना! "

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बात बात पर शेखी़ बघारते, वह अपना ही वर्चस्व दिखाते, ऐसे लोग मुझे ना भातें! ऐसे लोग आपको हर जगह मिल जायेंगे सबको छोड़ अपने को ही महान बतायेंगे! ऐसे लोगों की बातें, मुझे ...

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लेखक के बारे में
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Karishma Shrivastava

मै इस प्रतिलिपि के महासागर में ओस के बूंद के तरह हूँ |🙏

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    29 नवम्बर 2020
    अरी,वर्षा,अपने मुह मिया।मिट्ठू की तुमने तो सरेआम बखिया उधार दी,खूब किया।बहुत अच्छी लगी तुम्हारी रचना,ऐसी चोट करती रहो ताकि वे कुछ सम्हल जाये।कार्तिक पूर्णिमा के साथ ही तेरी रचना की बधाइयाँ और शुभकामनाएं भी ।
  • author
    परमानन्द "प्रेम"
    29 नवम्बर 2020
    सही बात... और वास्तव में आज के विषयानुरूप शानदार रचना...। 👌👌💐💐
  • author
    Puja 'pkp'💚
    29 नवम्बर 2020
    वाह करिश्मा दी बहुत बढ़िया लिखा आपने 👌👌👌👌 बिलकुल सही कहा 👏👏👏👍👍😊🌹🌹
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    29 नवम्बर 2020
    अरी,वर्षा,अपने मुह मिया।मिट्ठू की तुमने तो सरेआम बखिया उधार दी,खूब किया।बहुत अच्छी लगी तुम्हारी रचना,ऐसी चोट करती रहो ताकि वे कुछ सम्हल जाये।कार्तिक पूर्णिमा के साथ ही तेरी रचना की बधाइयाँ और शुभकामनाएं भी ।
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    परमानन्द "प्रेम"
    29 नवम्बर 2020
    सही बात... और वास्तव में आज के विषयानुरूप शानदार रचना...। 👌👌💐💐
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    Puja 'pkp'💚
    29 नवम्बर 2020
    वाह करिश्मा दी बहुत बढ़िया लिखा आपने 👌👌👌👌 बिलकुल सही कहा 👏👏👏👍👍😊🌹🌹