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अपना शहर जो छोड़ा

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अपना शहर जो मैंने छोड़ा मानो शरीर से आत्मा को निचोड़ा । बचपन बिता जिस शहर में यादें घुलीं थीं हर डगर में जवानी की दहलीज पर कदम रखा ही था कि ब्याह कर आ गई अनजाने शहर में मन में उठी एक टीस काश , ऐसा ...

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लेखक के बारे में
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Pratibha Sinha

बचपन से पढ़ने ॒लिखने का विशेष शौक रहा है ।मैने इतिहास विषय में एमऺ ऺए ऺतक की शिक्षा ग्रहण की है ।शायद इसकी पृष्ठभूमि में हमारा पारिवारिक माहौल ही रहा है ।छात्र जीवन में ही कुछ स्थानीय पत्र ॒पत्रिका में कविताएं ,लघु कथाओं का प्रकाशन ।अब प्रतिलिपि रूप में एक मनचाहा माध्यम मिला है अपनी रचनाओं को अपने पाठकों तक पहुंचाने की। धन्यवाद प्रतिलिपि ।

समीक्षा
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    N Chow Chow
    23 मई 2022
    nice
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    23 मई 2022
    अप्रतिम 👌
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    N Chow Chow
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