जीती है स्त्री रिश्तों में स्वयं को उम्र भर तलाशती है इन रिश्तों से अलग अपना एक कोना जहां उसकी साँसें सिर्फ उसकी हों उन्मुक्त हंसी में डूबा अस्तित्व हो सारे सपने सिर्फ उसके हों रेशा - रेशा मन का ...

प्रतिलिपिजीती है स्त्री रिश्तों में स्वयं को उम्र भर तलाशती है इन रिश्तों से अलग अपना एक कोना जहां उसकी साँसें सिर्फ उसकी हों उन्मुक्त हंसी में डूबा अस्तित्व हो सारे सपने सिर्फ उसके हों रेशा - रेशा मन का ...