pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

अपराजिता

4.6
633

जल तो गया है जिस्म मेरा , पर देख आत्मा मेरी जली नही , कर तो दिया है वार तूने , पर देख मैं पिघली नहीं .... खडी हूँ तेरे समक्ष आज भी अपराजित , अकल्पनीय सी डरूंगी नहीं भागूंगी नहीं , रहेगा हमेशा ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

मैं एक समाजसेविका व फैशन डिजायनर हूं ....लेखन मेरा शौक है ..!!

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ravindra N.Pahalwam
    06 अक्टूबर 2018
    हिम्मत से पूरी तरह भरी हुई, रचना / आन्दोलित करती, रचना / मैं रचना से प्रभावित हुआ.
  • author
    CHANDAN SINGH
    14 सितम्बर 2018
    साहस और संघर्ष का बखूबी चित्रण
  • author
    16 अगस्त 2018
    बहुत खूब।जोश से भरी हुई कविता।
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ravindra N.Pahalwam
    06 अक्टूबर 2018
    हिम्मत से पूरी तरह भरी हुई, रचना / आन्दोलित करती, रचना / मैं रचना से प्रभावित हुआ.
  • author
    CHANDAN SINGH
    14 सितम्बर 2018
    साहस और संघर्ष का बखूबी चित्रण
  • author
    16 अगस्त 2018
    बहुत खूब।जोश से भरी हुई कविता।