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अपराध बोध

3.7
9413

आखों में आंसू लेकर चला जा रहा था विशाल ,उसके मन में बार बार छाया के शब्द गूंज रहे –“मैंने तुम्हे क्या समझा था विशाल और तुम क्या निकले ? कितना भरोसा किया था मैंने तुम पर किन्तु तुम भी बाकी लड़कों जैसे ...

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लेखक के बारे में

पेशे से आयुर्वेद का डॉक्टर मन में उठते विचारों को लिपिबद्ध कर देना मेरा शौक है l ये शौक कभी हारने नहीं देता l जब लगता है सब खत्म तभी फिर से जीतने की जिद आँखों की नींद उड़ा देती है l

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    संतोष कुमार
    18 दिसम्बर 2016
    लेखन बेहद कमज़ोर व कथानक अपरिपक्व है। किरदारों में गहराई का अभाव है और संवादों में सतहीपन है।
  • author
    Shyam Hardaha
    24 जुलाई 2019
    बढ़िया. वर्तनी दोष दूर करें
  • author
    jaya rani
    05 फ़रवरी 2021
    👌👌👌👌👌👌👌👌👌
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    संतोष कुमार
    18 दिसम्बर 2016
    लेखन बेहद कमज़ोर व कथानक अपरिपक्व है। किरदारों में गहराई का अभाव है और संवादों में सतहीपन है।
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    Shyam Hardaha
    24 जुलाई 2019
    बढ़िया. वर्तनी दोष दूर करें
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    jaya rani
    05 फ़रवरी 2021
    👌👌👌👌👌👌👌👌👌