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4.3
8609

और मैंने खून कर दिया। कैसे किया, याद नहीं। बस, अब वह मेरे सामने मरा पड़ा था और मैं जल्द से जल्द हर उस चिन्ह को समाप्त कर देने की हड़बड़ाहट में थी जो मेरे विरुद्ध कोई सबूत बन सके. एहतियातन मैंने उसके हाथ ...

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लेखक के बारे में
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मणिका मोहिनी

एम्.ए.- दिल्ली विश्वविद्यालय रचनाएं – प्रेम प्रहार – काव्य संकलन मेरा मरना – काव्य संकलन कटघरे में – काव्य संकलन ख़त्म होने के बाद – कहानी संग्रह अभी तलाश जारी है – कहानी संग्रह अपना –अपना सच – कहानी संग्रह अन्वेषी – कहानी संग्रह स्वप्न दंश – कहानी संग्रह ये कहानियां – कहानी संग्रह ढाई आखर प्रेम का – कहानी संग्रह जग का मुजरा – कहानी संग्रह पारो ने कहा था – उपन्यास प्रसंगवश – लेख संग्रह अगेय;एक मूल्याङ्कन – सम्पादन उसका बचपन – नाट्य रूपान्तरण तेरह कहानियां – सम्पादन 5 अन्य पुस्तकें प्रकाशनाधीन

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Chandra Saraswat
    08 मई 2019
    मनोवैज्ञानिक पक्ष अत्यंत सबल है ।अंत में मतभेद हो सकता है तार्किकता के आधार पर लेकिन मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया के रूप में यही होगा क्योंकि यह प्रथमतः एक विश्वास की हत्या फिर उसके आधार की हत्या है फिर स्वयं चयनित निर्वासन और आत्म का संधान । कथ्य सशक्त है शिल्प अपेक्षाकृत कम सशक्त । और अच्छी हो सकती थी ।
  • author
    DrDiwakar Sharma
    09 मई 2019
    मानवीय भावनाओं के कमजोर पक्ष को आदर्श केझूठे आवरण मे लपेटकर दूसरे पक्ष को भरोसा देकर बहलाने का असफल पृयासकर ठगने का उचित उत्तर देने वाली समसामयिक कहानीजो पठनीय है।कहानीकार को बधाई।
  • author
    Asha Chandra
    17 मई 2019
    नारी मन का सटीक चित्रण पुरूष सदैव स्वयं को सबसे ऊपर समझता है और उसकी धारणा है कि वो जो करता है वही सही है और स्त्री को सरलता से मूर्ख बनाया जा सकता है
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  • author
    Chandra Saraswat
    08 मई 2019
    मनोवैज्ञानिक पक्ष अत्यंत सबल है ।अंत में मतभेद हो सकता है तार्किकता के आधार पर लेकिन मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया के रूप में यही होगा क्योंकि यह प्रथमतः एक विश्वास की हत्या फिर उसके आधार की हत्या है फिर स्वयं चयनित निर्वासन और आत्म का संधान । कथ्य सशक्त है शिल्प अपेक्षाकृत कम सशक्त । और अच्छी हो सकती थी ।
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    DrDiwakar Sharma
    09 मई 2019
    मानवीय भावनाओं के कमजोर पक्ष को आदर्श केझूठे आवरण मे लपेटकर दूसरे पक्ष को भरोसा देकर बहलाने का असफल पृयासकर ठगने का उचित उत्तर देने वाली समसामयिक कहानीजो पठनीय है।कहानीकार को बधाई।
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    Asha Chandra
    17 मई 2019
    नारी मन का सटीक चित्रण पुरूष सदैव स्वयं को सबसे ऊपर समझता है और उसकी धारणा है कि वो जो करता है वही सही है और स्त्री को सरलता से मूर्ख बनाया जा सकता है