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अनुभूति

3.9
393

ऐसा नहीँ कि चिड़ियाँ नहीँ चहकती चिड़ियाँ चहकती हैं हर तरफ़ पसरे बेतहाशा शोर में उनकी चहक दब गई है ऐसा नहीँ कि कलियाँ नहीँ महकती कलियाँ महकती हैं हर तरफ़ पसरे गंदे-घुटते माहौल में उनकी महक दब ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rittika Saxena "Chintu"
    07 जुलाई 2018
    वाह! बहुत ख़ूबसूरत. लेकिन बहुत कम लिखा आपने. आज का माहौल तो यही हो चला है। कुदरत की बहुत सारी ख़ूबसूरती आज की ज़रूरतों के हिसाब से दबती जा रही है।
  • author
    shobhana tarun saxena
    15 फ़रवरी 2023
    resplendent 👌 plz do read my other stories too
  • author
    Nilesh Mathur
    09 अप्रैल 2020
    बहुत सुंदर लिखा है, इसमे और भी लिखा जा सकता है।
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    Rittika Saxena "Chintu"
    07 जुलाई 2018
    वाह! बहुत ख़ूबसूरत. लेकिन बहुत कम लिखा आपने. आज का माहौल तो यही हो चला है। कुदरत की बहुत सारी ख़ूबसूरती आज की ज़रूरतों के हिसाब से दबती जा रही है।
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    shobhana tarun saxena
    15 फ़रवरी 2023
    resplendent 👌 plz do read my other stories too
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    Nilesh Mathur
    09 अप्रैल 2020
    बहुत सुंदर लिखा है, इसमे और भी लिखा जा सकता है।