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अन्तिम पत्र

4.7
58241

गुड़िया की मम्मी ! लग रहा है कि डॉक्टर ने जबाब दे दिया इस बार ।" अमर नें बिस्तर पर करवट बदलते हुए सुमन से शंका व्यक्त की। "नहीं ऐसा नहीं है ,डॉ० साहब बोल रहे थे कि अब अस्पताल की कोई जरूरत नहीं है। ...

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लेखक के बारे में

गोरखपुर , सहायक अध्यापक , सोशल मीडिया पर सक्रिय लेखन

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    सुमित सिंह "Meetu"
    10 మే 2018
    आपके शब्दों में जादू है। मित्रता की सच्ची परिभाषा का पता चलता है इस रचना को पढ़ कर। धन्यवाद सर। ऐसी अमूल्य रचना हम तक पहुँचाने के लिए।
  • author
    Sunny Kansykar "Ak"
    07 సెప్టెంబరు 2018
    rula diya
  • author
    Nirmla Nagar
    05 నవంబరు 2019
    आप की लेखनी को सलाम करती हूं सर। बेहद मर्मस्पर्शी, भावुक कर दिया आपने 🙏🙏🙏🙏
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    सुमित सिंह "Meetu"
    10 మే 2018
    आपके शब्दों में जादू है। मित्रता की सच्ची परिभाषा का पता चलता है इस रचना को पढ़ कर। धन्यवाद सर। ऐसी अमूल्य रचना हम तक पहुँचाने के लिए।
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    Sunny Kansykar "Ak"
    07 సెప్టెంబరు 2018
    rula diya
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    Nirmla Nagar
    05 నవంబరు 2019
    आप की लेखनी को सलाम करती हूं सर। बेहद मर्मस्पर्शी, भावुक कर दिया आपने 🙏🙏🙏🙏