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अंतिम मंजिल

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जिंदगी करती है एक उस दिन आराम जब होती चार कंधों पर सवार राम नाम के जप से करती गर्व अब पूर्ण हुई सब आस जगत मे जो भी आया इस माया से कोई ना बच पाया राजा बना या रंक अंत मे बिस्तर न बिछोना किसी ने पाया ...

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लेखक के बारे में
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Ekta Pathak

🌹🌹🌹🌹फूल बनकर नहीं पत्थर बन जीते है ll🌹🌹🌹🌹 मुर्झा जाने पर फूल तो मसल कर फेंक दिए जाते है ll पत्थर को तराशे जाने पर एक मूरत देखा करते है ll🙏🙏 दुनिया में प्यार तो खुद से बस करते है ll दूसरो को तो वारों से छलनी किया करते है ll अब हमे बेखोफ उड़ना है सभी तूफ़ानों से लड़ना सीखना है अपने लिए जिना है और अपनी पहचान को खुद से ही पहचान कर एक नया मुकाम बना उस पर मुकम्मल जहाँ को पाना है 😍😍😍 कुछ खास नहीं बस मन के अपने सपनो को शब्दों में सजाते हैंll कुछ भी देखते हैं उसको दिखाना चाहते हैं ll

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    शानदार और जानदार प्रस्तुति बेहतरीन अभिव्यक्ति अति उत्तम रचना लिखी है
  • author
    Ritu Goel
    17 सितम्बर 2021
    यथार्थ चित्रण करती अति सुंदर अभिव्यक्ति
  • author
    JETHARAM MANARAM "CHOUDHARY"
    17 सितम्बर 2021
    सही फरमाया आपने एक दिन आराम मिलता है
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    शानदार और जानदार प्रस्तुति बेहतरीन अभिव्यक्ति अति उत्तम रचना लिखी है
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    Ritu Goel
    17 सितम्बर 2021
    यथार्थ चित्रण करती अति सुंदर अभिव्यक्ति
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    JETHARAM MANARAM "CHOUDHARY"
    17 सितम्बर 2021
    सही फरमाया आपने एक दिन आराम मिलता है