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हिन्दी

अंतर्वस्त्र

4.6
1535

प्रथम का अभी अभी स्थानांतरण हैदराबाद से बैंगलोर हुआ था । वह एक एम एन सी में काम करता था और अच्छी पगार पाता था । उसकी पत्नी प्रज्ञा भी उसी कंपनी में जॉब करती थी । प्रज्ञा को भी बैंगलोर ऑफिस में ...

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लेखक के बारे में
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श्री हरि

हरि का अंश, शंकर का सेवक हरिशंकर कहलाता हूँ अग्रसेन का वंशज हूँ और "गोयल" गोत्र लगाता हूँ कहने को अधिकारी हूँ पर कवियों सा मन रखता हूँ हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान से बेहद, प्यार मैं दिल से करता हूँ ।। गंगाजल सा निर्मल मन , मैं मुक्त पवन सा बहता हूँ सीधी सच्ची बात मैं कहता , लाग लपेट ना करता हूँ सत्य सनातन परंपरा में आनंद का अनुभव करता हूँ हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान से बेहद, प्यार मैंदिल से करता हूँ

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    अनन्या श्री "Ananya Shree" सुपरफैन
    10 जून 2021
    वक्त वक्त की बात है Sir.. बात गांव या शहर की न होकर अब सिमट गई तो लोगों की मानसिकता में.. मर्यादित व्यवहार चाहे वो कहीं भी हो और कैसे भी हो कायम तो आज भी है.. सिर्फ पुरुषों को दोष देना पूरी तरह उचित नहीं है.. एक स्वस्थ दिमाग घिनौना काम नहीं करता कम-से-कम वो तो बिल्कुल नहीं जो मासूम बच्चों के साथ होता है.. विकृत मानसिकता एक वजह हो सकती है.. अब अंतःवस्त्र तो अंतःवस्त्र रहा नहीं... जिन्हें सुखाने में हम स्त्रियां संकोच करती हैं.. वो एक फैशनेबल परिधान के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा है वो भी धडल्ले से.. खैर शायद हम विषय से भटक गए न 😊😊😊 आपके लेख कहानियों के रूप में एक नए आयाम को छू रहे हैं.. और तारीफ करने के लिए शब्द कम से होने लगे.. क्या लिखें अब 🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔बेहतरीन... 👌👌👌
  • author
    Anita Yadav
    10 जून 2021
    बहुत ही अलग बिषय पर लिखा है आपने सर लेकिन ये सच भी है गावों में कभी कोई स्त्री अपने अंतर्वस्त्र को खुले में नहीं सुखाती बल्कि ऐसे ही ढककर सुखाती हैं जबकि शहरों कस्बों में खुलेआम सुखाना आम बात है कहानी के नायक के माध्यम से आपने जो बात कही बहुत ही काबिलेतारीफ है बहुत ही बेहतरीन और प्रेरक कहानी लिखी है आपने 👏👏👏👏👌👌👌👌💐💐💐💐😊
  • author
    Poonam Tiwari
    10 जून 2021
    👌 👌 🙏 पढ़ने में देर हो गई लेकिन यह जानकर बहुत खुशी हुई कि अभी भी आप जैसे कुछ लोग हैं, मैं अकेले ही नहीं हूं ऐसे सोचने वाली। सच तो यह है कि हमारे समाज की रीतियों में समाज को संभालने की ताकत थी और धार्मिक सोच के रूप में वैज्ञानिक दृष्टि कोण। जय श्री कृष्ण।
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    अनन्या श्री "Ananya Shree" सुपरफैन
    10 जून 2021
    वक्त वक्त की बात है Sir.. बात गांव या शहर की न होकर अब सिमट गई तो लोगों की मानसिकता में.. मर्यादित व्यवहार चाहे वो कहीं भी हो और कैसे भी हो कायम तो आज भी है.. सिर्फ पुरुषों को दोष देना पूरी तरह उचित नहीं है.. एक स्वस्थ दिमाग घिनौना काम नहीं करता कम-से-कम वो तो बिल्कुल नहीं जो मासूम बच्चों के साथ होता है.. विकृत मानसिकता एक वजह हो सकती है.. अब अंतःवस्त्र तो अंतःवस्त्र रहा नहीं... जिन्हें सुखाने में हम स्त्रियां संकोच करती हैं.. वो एक फैशनेबल परिधान के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा है वो भी धडल्ले से.. खैर शायद हम विषय से भटक गए न 😊😊😊 आपके लेख कहानियों के रूप में एक नए आयाम को छू रहे हैं.. और तारीफ करने के लिए शब्द कम से होने लगे.. क्या लिखें अब 🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔बेहतरीन... 👌👌👌
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    Anita Yadav
    10 जून 2021
    बहुत ही अलग बिषय पर लिखा है आपने सर लेकिन ये सच भी है गावों में कभी कोई स्त्री अपने अंतर्वस्त्र को खुले में नहीं सुखाती बल्कि ऐसे ही ढककर सुखाती हैं जबकि शहरों कस्बों में खुलेआम सुखाना आम बात है कहानी के नायक के माध्यम से आपने जो बात कही बहुत ही काबिलेतारीफ है बहुत ही बेहतरीन और प्रेरक कहानी लिखी है आपने 👏👏👏👏👌👌👌👌💐💐💐💐😊
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    Poonam Tiwari
    10 जून 2021
    👌 👌 🙏 पढ़ने में देर हो गई लेकिन यह जानकर बहुत खुशी हुई कि अभी भी आप जैसे कुछ लोग हैं, मैं अकेले ही नहीं हूं ऐसे सोचने वाली। सच तो यह है कि हमारे समाज की रीतियों में समाज को संभालने की ताकत थी और धार्मिक सोच के रूप में वैज्ञानिक दृष्टि कोण। जय श्री कृष्ण।