आज फिर से वही बात फिर से वही शिकायते... अंदर न जैसे गुस्से का गुब्बारा भरा पड़ा बैठा है कब फटेगा, और सामने वाले को मेरे लफ्जो से घायल कर देगा। और अगर नही फटा तो मेरे अंदर ही मुझे खुद में समा लेगा ...
जिंदगी के कुछ खट्टे- मीठे सच को,
कुछ पुराने लम्हों को,
कुछ कड़वी यादों को,
कुछ हसीन पल को,
कुछ मन में उठे जज्बातों को,
अपनो अल्फाजों से सजाने की कोशिश कर रहा हूं।
ए जिंदगी मैं तेरे हर वक्त को, अपने रंगो से रंग रहा हू।
सारांश
जिंदगी के कुछ खट्टे- मीठे सच को,
कुछ पुराने लम्हों को,
कुछ कड़वी यादों को,
कुछ हसीन पल को,
कुछ मन में उठे जज्बातों को,
अपनो अल्फाजों से सजाने की कोशिश कर रहा हूं।
ए जिंदगी मैं तेरे हर वक्त को, अपने रंगो से रंग रहा हू।
अपने अंतर्मन में घिरे अनतरद्वंद को ,,शब्दों से सिर्फ बयां कर सकते है,,,जीना तो उन्हें खुद में ही है,,,बहुत ही गहरे जज़्बात लिखे है आपने ,,बहुत ही शानदार,,✍🏼👌✍🏼👌✍🏼👌परेशानियों को ",कुछ नही "के विश्लेषण में छुपा कर रखा है,ये पंक्ति बहुत आकर्षक लगी,, ऐसे ही लिखते रहिए,,,बहुत अच्छा लिखा है आपने,,RJ ji,,👌✍🏼🙏,
रिपोर्ट की समस्या
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अपने अंतर्मन में घिरे अनतरद्वंद को ,,शब्दों से सिर्फ बयां कर सकते है,,,जीना तो उन्हें खुद में ही है,,,बहुत ही गहरे जज़्बात लिखे है आपने ,,बहुत ही शानदार,,✍🏼👌✍🏼👌✍🏼👌परेशानियों को ",कुछ नही "के विश्लेषण में छुपा कर रखा है,ये पंक्ति बहुत आकर्षक लगी,, ऐसे ही लिखते रहिए,,,बहुत अच्छा लिखा है आपने,,RJ ji,,👌✍🏼🙏,
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