pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

अंतर्द्वंद्व

5
13

आज फिर से वही बात फिर से वही शिकायते... अंदर न जैसे गुस्से का गुब्बारा भरा पड़ा बैठा है कब फटेगा, और सामने वाले को मेरे लफ्जो से घायल कर देगा। और अगर नही फटा तो मेरे अंदर ही मुझे खुद में समा लेगा ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
R

जिंदगी के कुछ खट्टे- मीठे सच को, कुछ पुराने लम्हों को, कुछ कड़वी यादों को, कुछ हसीन पल को, कुछ मन में उठे जज्बातों को, अपनो अल्फाजों से सजाने की कोशिश कर रहा हूं। ए जिंदगी मैं तेरे हर वक्त को, अपने रंगो से रंग रहा हू।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Aarvii,,, 📚🌹☕✍🏼
    02 मई 2024
    अपने अंतर्मन में घिरे अनतरद्वंद को ,,शब्दों से सिर्फ बयां कर सकते है,,,जीना तो उन्हें खुद में ही है,,,बहुत ही गहरे जज़्बात लिखे है आपने ,,बहुत ही शानदार,,✍🏼👌✍🏼👌✍🏼👌परेशानियों को ",कुछ नही "के विश्लेषण में छुपा कर रखा है,ये पंक्ति बहुत आकर्षक लगी,, ऐसे ही लिखते रहिए,,,बहुत अच्छा लिखा है आपने,,RJ ji,,👌✍🏼🙏,
  • author
    02 मई 2024
    आदरणीय, बहुत सही लिखा है आपने, जीवन में जब उठे तूफान तो क्या होता है. वही होता है जो मंजूर ए खुदा होता है. शिवा भोपाल
  • author
    Sweety
    02 मई 2024
    एक और खूबसूरत रचना आपकी। मन की उथल पुथल को अच्छे से दर्शाया आपने।
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Aarvii,,, 📚🌹☕✍🏼
    02 मई 2024
    अपने अंतर्मन में घिरे अनतरद्वंद को ,,शब्दों से सिर्फ बयां कर सकते है,,,जीना तो उन्हें खुद में ही है,,,बहुत ही गहरे जज़्बात लिखे है आपने ,,बहुत ही शानदार,,✍🏼👌✍🏼👌✍🏼👌परेशानियों को ",कुछ नही "के विश्लेषण में छुपा कर रखा है,ये पंक्ति बहुत आकर्षक लगी,, ऐसे ही लिखते रहिए,,,बहुत अच्छा लिखा है आपने,,RJ ji,,👌✍🏼🙏,
  • author
    02 मई 2024
    आदरणीय, बहुत सही लिखा है आपने, जीवन में जब उठे तूफान तो क्या होता है. वही होता है जो मंजूर ए खुदा होता है. शिवा भोपाल
  • author
    Sweety
    02 मई 2024
    एक और खूबसूरत रचना आपकी। मन की उथल पुथल को अच्छे से दर्शाया आपने।