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अंतहीन आरंभ

4.8
73

?सोचते सोचते इक मंजिल मिल गई,   पूरी ना सही,अधूरी मिल गई।      रास्ते की धुंध अब हटने लगी है,        एक अंतहीन आरंभ की शुरुआत होने लगी है।। ? ...

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लेखक के बारे में
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Anju Kumari

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नही मिलता कहीं ज़ॅमी तो कहीं आसमाँ नही मिलता

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    27 जून 2020
    वाह,,,, चलो शुरुआत तो हुई,, 👌👍☺️
  • author
    Jyoti Sharma
    09 अक्टूबर 2022
    👌👌👌
  • author
    'ANJANI TIWARI'🇮🇳
    26 सितम्बर 2019
    👌🏼👌🏼
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    27 जून 2020
    वाह,,,, चलो शुरुआत तो हुई,, 👌👍☺️
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    Jyoti Sharma
    09 अक्टूबर 2022
    👌👌👌
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    'ANJANI TIWARI'🇮🇳
    26 सितम्बर 2019
    👌🏼👌🏼