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अनपढ़ गवार हूं

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" अनपढ़ गवार " नाहीं तुम्हे मेरे पास आजतक कभी आना हुवा और नाही तेरी गलियों से मेरा कभी गुज़र ना हुआ नाही कभी मुझे तेरी कोई आदत है  ना, तो तेरा कोई खयाल है ..और.. ना तेरी कोई पहेचान है .. मै तो इन ...

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लेखक के बारे में
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K. Bhatia
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    H. zala. "લાગણી"
    19 अक्टूबर 2019
    very.. nice., 👌👌👌👌
  • author
    Jaya. Jani.Talaja. "Jiya."
    16 अक्टूबर 2019
    સરસ
  • author
    કાજુ ચાવડા
    16 अक्टूबर 2019
    woww
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  • author
    H. zala. "લાગણી"
    19 अक्टूबर 2019
    very.. nice., 👌👌👌👌
  • author
    Jaya. Jani.Talaja. "Jiya."
    16 अक्टूबर 2019
    સરસ
  • author
    કાજુ ચાવડા
    16 अक्टूबर 2019
    woww