अधिकांश परिवारों में लड़के अपने पैरों पर खड़े होते ही घर छोड़ देते हैं जबकि पिता ने उनकी परवरिश में अपना जीवन समर्पित कर दिया होता है क्यों करते हैं पिता यह
पढ़िए एक संवेदनशील कहानी
नाम-अवनीन्द्र सिंह जादौन
शैक्षिक योग्यता- एम् एस सी बीएड एम् ए
बेसिक शिक्षा में अध्यापन के साथ शौकिया लेखन। कई आलेख प्रकाशित हुए हैं मुख्यतः ब्लॉग लेखन में सक्रिय। शिक्षा पर आलेख और व्यंग्य ज्यादा लोकप्रिय।
सारांश
नाम-अवनीन्द्र सिंह जादौन
शैक्षिक योग्यता- एम् एस सी बीएड एम् ए
बेसिक शिक्षा में अध्यापन के साथ शौकिया लेखन। कई आलेख प्रकाशित हुए हैं मुख्यतः ब्लॉग लेखन में सक्रिय। शिक्षा पर आलेख और व्यंग्य ज्यादा लोकप्रिय।
कहानी जहाँ एक ओर रिश्ते की मर्म को समझा रहीं हैं वहीं दुसरी ओर हमारी दंभकारी शिक्षा व्यवस्था पर भी कटाक्ष व व्यंग कर रही हैं । प्रस्तुत कहानी में वर्तमान भावनात्मक संबंधों का बढ़ीया जिक्र किया गया हैं । लेखक को वैराग की अनुभूति होना लाजिमी हैं लेकिन पारिवारिक में उचित मार्गदर्शन की कमी दिख रही हैं जहाँ लेखक को और काम करना चाहिए था।
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संवेदनशील रचना । समस्या जिसका कोई समाधान नही । अपने आस पास हम प्रतिदिन कितने ही ऐसे बाबूजी को देखते है । लेकिन कर कुछ नही सकते । पिता का बच्चों के प्रति मोह और उनके कर्तव्य और दूसरी तरफ युवा पीढ़ी की सोच और समस्याएं । कुछ नही हो सकता । चलता रहेगा ऐसा ही। संवेदनशील लोग देख देख कर आंसू बहाते रहेंगे।
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चिड़िया के बच्चे उड़ जाते है प्रकृति का कठोर नियम है मनुष्य ने प्रकृति पर विजय पाने की कोशिशें की है और अपनी ही संतान से हार जाता है जो प्रकृति के इस नियम की कटु सच्चाई को सामने ला देते है।पर मैं अपने पापा को नही भूल सकती ...कभी नही ।हृदयस्पर्शी कहानी
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कहानी जहाँ एक ओर रिश्ते की मर्म को समझा रहीं हैं वहीं दुसरी ओर हमारी दंभकारी शिक्षा व्यवस्था पर भी कटाक्ष व व्यंग कर रही हैं । प्रस्तुत कहानी में वर्तमान भावनात्मक संबंधों का बढ़ीया जिक्र किया गया हैं । लेखक को वैराग की अनुभूति होना लाजिमी हैं लेकिन पारिवारिक में उचित मार्गदर्शन की कमी दिख रही हैं जहाँ लेखक को और काम करना चाहिए था।
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संवेदनशील रचना । समस्या जिसका कोई समाधान नही । अपने आस पास हम प्रतिदिन कितने ही ऐसे बाबूजी को देखते है । लेकिन कर कुछ नही सकते । पिता का बच्चों के प्रति मोह और उनके कर्तव्य और दूसरी तरफ युवा पीढ़ी की सोच और समस्याएं । कुछ नही हो सकता । चलता रहेगा ऐसा ही। संवेदनशील लोग देख देख कर आंसू बहाते रहेंगे।
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चिड़िया के बच्चे उड़ जाते है प्रकृति का कठोर नियम है मनुष्य ने प्रकृति पर विजय पाने की कोशिशें की है और अपनी ही संतान से हार जाता है जो प्रकृति के इस नियम की कटु सच्चाई को सामने ला देते है।पर मैं अपने पापा को नही भूल सकती ...कभी नही ।हृदयस्पर्शी कहानी
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