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अंधेरा कायम रहे

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संघर्ष भरे जीवन में, हर रोज की उठापटक और भागदौड़ में यदि कुछ आरामदेह है तो वह है 'रात' । कहीं दूर एकांत में घर बसा लेने की इच्छा हो या फिर बेवजह आंसू बहाने का मन ,अक्सर दिल की मोटी से मोटी परतें ...

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लेखक के बारे में
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Shubham Raturi

"भावुकता अंगूर लता से खींच कल्पना की हाला, पाठक गण हैं पीने वाले,कविता मेरी मधुशाला।।"(बच्चन) #जन्म-25 जुलाई

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    ऋषिनाथ झा
    10 अगस्त 2019
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
  • author
    Bala
    09 अगस्त 2019
    आपने सही कहा👌👌👌👌👌 👏👏👏👏👏👏👏👏👏 "अंधेरा कायम रहे"
  • author
    निक्की सिंह
    16 अगस्त 2019
    अँधेरा कायम रहे।
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    ऋषिनाथ झा
    10 अगस्त 2019
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
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    Bala
    09 अगस्त 2019
    आपने सही कहा👌👌👌👌👌 👏👏👏👏👏👏👏👏👏 "अंधेरा कायम रहे"
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    निक्की सिंह
    16 अगस्त 2019
    अँधेरा कायम रहे।