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अंदर के कलाकार को जी जाऊँ

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जी करता है कि एक कलाकार बन जाऊँ प्रकृति से कुछ रंग चुराऊं नीली आभा आसमान की लाल सुर्ख रंग सूरज का हरीतिमा धरती की हरी-हरी एक चित्र बनाऊँ निखरता हुआ एक चित्र बनाऊँ सँवरता हुआ मेरे मन का कलाकार उमगता ...

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लेखक के बारे में
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Nimisha Verma

An advocate,my hobbies are writing ,studying.I believe in hope.Everything lost still future remains

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Balram Soni
    13 अक्टूबर 2022
    बढ़िया बेहतरीन लाजवाब और अति उत्तम रचना लिखी है👌💐💐 🙏🌹 जय श्री राधे कृष्णा 🌹🙏
  • author
    Poonam Arora
    13 अक्टूबर 2022
    बहुत बहुत बहुत-बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति 👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏
  • author
    संतोष नायक
    13 अक्टूबर 2022
    ' आज के विषय'पर बहुत ही अच्छी व लाजबाव रचना।
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    Balram Soni
    13 अक्टूबर 2022
    बढ़िया बेहतरीन लाजवाब और अति उत्तम रचना लिखी है👌💐💐 🙏🌹 जय श्री राधे कृष्णा 🌹🙏
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    Poonam Arora
    13 अक्टूबर 2022
    बहुत बहुत बहुत-बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति 👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏
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    संतोष नायक
    13 अक्टूबर 2022
    ' आज के विषय'पर बहुत ही अच्छी व लाजबाव रचना।