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आनंदी

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१० साल हो गए, मुझे उनसे मिले। हमारे पड़ोस के घर पर मेहमान थीं। रोजाना जब वे, छत पर कपड़े सूखाने जाती, उनसे मुलाकात हो जाती थी। शुरुआत में तो मुझे देखकर हल्की-सी मुस्कान, उनके चेहरे पर तैर जाया ...

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लेखक के बारे में
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Sangeeta Sharma

मैं संगीता शर्मा, मुझे पढ़ाई करना बहुत पसन्द है। 18 वर्षों के बाद मैंने अपनी पढ़ाई 2014 में फिर से शुरू की । स्नातक करने के बाद मैंने सितम्बर 2021 में बी०एड० उत्तीर्ण किया है। वर्तमान में, मैं एक स्कूल में हिन्दी विषय की अध्यापिका हूँ।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    निरंजना जैन
    02 जनवरी 2023
    संगीता चाहे इसे कहानी कहें या हमारे समाज की हकीकत।कोई फ़र्क नहीं है दोनों में।वैसे आपने अपनी कहानी में ज्वलंत मुद्दों के साथ समाधान भी दिए हैं।मैं उनसे सहमत हूँ।👌👌👌
  • author
    anshu saxena
    02 जनवरी 2023
    पति के चले जाने के बाद स्त्री के लिए जीवन व्यतीत करना कितना कठिन है. अकेली स्त्री का बहुत मार्मिक चित्रण किया है आपने.
  • author
    Sachchidanand Singh
    28 दिसम्बर 2022
    बहुत सुंदर और मार्मिक वर्णन। मौजूदा समय में बुजुर्गो की अवस्था पर सुंदर और हृदयद्रावक प्रस्तुति!
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    निरंजना जैन
    02 जनवरी 2023
    संगीता चाहे इसे कहानी कहें या हमारे समाज की हकीकत।कोई फ़र्क नहीं है दोनों में।वैसे आपने अपनी कहानी में ज्वलंत मुद्दों के साथ समाधान भी दिए हैं।मैं उनसे सहमत हूँ।👌👌👌
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    anshu saxena
    02 जनवरी 2023
    पति के चले जाने के बाद स्त्री के लिए जीवन व्यतीत करना कितना कठिन है. अकेली स्त्री का बहुत मार्मिक चित्रण किया है आपने.
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    Sachchidanand Singh
    28 दिसम्बर 2022
    बहुत सुंदर और मार्मिक वर्णन। मौजूदा समय में बुजुर्गो की अवस्था पर सुंदर और हृदयद्रावक प्रस्तुति!