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अना

4.4
8780

यह कहानी शुरू होती है पाषाण काल से | जब मानव ने पत्थर को नुकीला कर उसे हथियार के रूप में काम लाना सीख लिया था और शिकार करना उसका मुख्य काम था | जो उनके पेट भरने से लेकर तन ढंकने के काम में आता था ...

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लेखक के बारे में

शिक्षा – एम्.ए. ( हिन्दी ) सम्प्रति – कंटेंट एडिटर, प्रतिलिपि कॉमिक्स प्रकाशित पुस्तकें – तिराहा,बेगम हज़रत महल (उपन्यास ) अनतर्मन के द्वीप, पॉर्न स्टार और अन्य कहानियां – कहानी संग्रह कई कवितायें ,कहानियाँ एवं लेख पत्र - पत्रिकाओं और कई ब्लॉग्स पर प्रकाशित।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    06 ഡിസംബര്‍ 2018
    जबरदस्त कटाक्ष कि व्यक्ति आधुनिक युग मे पहुँचने के बाद भी स्त्री को मात्र उपभोग की वस्तु समझता है वह आज भी नारी को लेकर सभ्य नही हो पाया है बेहद ही उम्दा विजन है आपका आपको सादर प्रणाम.......... 🙏🙏🙏🙏
  • author
    09 സെപ്റ്റംബര്‍ 2016
    इस कहानी में स्त्री- पुरुष की वास्तविकता दिखाई देती है। क्या कभी वह दिन भी आएगा, जब दोनों समान भाव से आचरण करे..?
  • author
    sushma pandey
    17 സെപ്റ്റംബര്‍ 2016
    sahi kaha aapne aaj bhi ana or chani khudko zinda rakhe hauye hain...
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    06 ഡിസംബര്‍ 2018
    जबरदस्त कटाक्ष कि व्यक्ति आधुनिक युग मे पहुँचने के बाद भी स्त्री को मात्र उपभोग की वस्तु समझता है वह आज भी नारी को लेकर सभ्य नही हो पाया है बेहद ही उम्दा विजन है आपका आपको सादर प्रणाम.......... 🙏🙏🙏🙏
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    09 സെപ്റ്റംബര്‍ 2016
    इस कहानी में स्त्री- पुरुष की वास्तविकता दिखाई देती है। क्या कभी वह दिन भी आएगा, जब दोनों समान भाव से आचरण करे..?
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    sushma pandey
    17 സെപ്റ്റംബര്‍ 2016
    sahi kaha aapne aaj bhi ana or chani khudko zinda rakhe hauye hain...