pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

अम्मा,मैं आ गई..

4.3
21527

मुझे अम्मा की बीमारी की खबर हर साल - छह महीने में अलग अलग तरीके से मिलती थी ... कभी वात की तकलीफ है आ जाओ, कभी बी पी बढ़ गया है । मैं जा कर मिल आती थोड़े दिन रह कर सेवा भी कर आया करती थी। बेटे ने ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

स्त्रियों का जीवन सम्वेदनशीलता को प्राधान्य देता है समाज में मेरे इर्द गिर्द की औरतों में कहानियाँ ढूंढ लेती हूँ। जन्म स्थल झांसी सम्प्रति नागपुर से

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Abhishek gupta
    20 सितम्बर 2018
    सही है जीते जी हम इंसान की कदर नहीं कर पाते, और जब वो चला जाता है तब उसकी अहमियत समझ आती है
  • author
    Anjali Dhabhai
    04 अक्टूबर 2018
    कुछ बाते याद आगई ,ह्रदयस्पर्शी कहानी
  • author
    आज़म सय्यद
    17 सितम्बर 2018
    क्या कहूं, शायद शून्य में टिकी उन नज़रों को अब भी में देख सकता हूं
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Abhishek gupta
    20 सितम्बर 2018
    सही है जीते जी हम इंसान की कदर नहीं कर पाते, और जब वो चला जाता है तब उसकी अहमियत समझ आती है
  • author
    Anjali Dhabhai
    04 अक्टूबर 2018
    कुछ बाते याद आगई ,ह्रदयस्पर्शी कहानी
  • author
    आज़म सय्यद
    17 सितम्बर 2018
    क्या कहूं, शायद शून्य में टिकी उन नज़रों को अब भी में देख सकता हूं