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अम्मा ! पापा कहाँ ?

4.7
20280

ईंट भट्ठे पर मुंशीगीरी में पैसा तो बस कहने को था लेकिन सुबह से शाम तक केशव के लिए वह एक सम्मान की जगह थी। चार लोग रोज़ सलाम करते थे। घर पर डेढ़ बीघा खेती....जो ज्यादा तो नहीं लेकिन उससे इतना गल्ला तो ...

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लेखक के बारे में

गोरखपुर , सहायक अध्यापक , सोशल मीडिया पर सक्रिय लेखन

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    29 October 2018
    दिल में भावनाओं का तूफान महसूस कर रहा हूँ, सर। सुंदर के चेहरे में अपने बेटे को देख रहा हूँ और बेबस बाप केशव मुझे अपने आप में महसूस हो रहा है
  • author
    Meenakshi Gupta
    29 December 2018
    भगवान् किसी को ये दिन न दिखाए
  • author
    शिखा स्वर्णिमा
    02 October 2018
    have tears on my eyes after reading this heart touching story
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    29 October 2018
    दिल में भावनाओं का तूफान महसूस कर रहा हूँ, सर। सुंदर के चेहरे में अपने बेटे को देख रहा हूँ और बेबस बाप केशव मुझे अपने आप में महसूस हो रहा है
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    Meenakshi Gupta
    29 December 2018
    भगवान् किसी को ये दिन न दिखाए
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    शिखा स्वर्णिमा
    02 October 2018
    have tears on my eyes after reading this heart touching story