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अम्मा- जैसे दरख़्त की छाँह

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तपती दोपहरी में सिग्नल हरा होने तक भी धूप सहन नही होती। हम वहां भी आसपास के किसी दरख़्त की छाँह तलाशते हैं।ज़िन्दगी भी कभी कभी ऐसे ही चौराहों पर ला कर हमें दरख्तों की छाँह की कीमत याद दिलाती है। ...

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लेखक के बारे में

स्त्रियों का जीवन सम्वेदनशीलता को प्राधान्य देता है समाज में मेरे इर्द गिर्द की औरतों में कहानियाँ ढूंढ लेती हूँ। जन्म स्थल झांसी सम्प्रति नागपुर से

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    prashant bhatt
    22 जून 2018
    भरोसा और साहस का कोई रूप नहीं होता, लेकिन यदि हमारे वृद्ध जनों हमारे आस-पास भी हो,तब दोनों ही स्वता एक स्वरूप ले लेते है।
  • author
    Sunita Pandey
    11 जून 2018
    Ghar ke bujurgo ke n rahne par unki kami buri tarh se khalti hai khastaur per family functions me
  • author
    03 मई 2018
    बढिया कहानी। मेरी रचना पढकर विचार दे।
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    prashant bhatt
    22 जून 2018
    भरोसा और साहस का कोई रूप नहीं होता, लेकिन यदि हमारे वृद्ध जनों हमारे आस-पास भी हो,तब दोनों ही स्वता एक स्वरूप ले लेते है।
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    Sunita Pandey
    11 जून 2018
    Ghar ke bujurgo ke n rahne par unki kami buri tarh se khalti hai khastaur per family functions me
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    03 मई 2018
    बढिया कहानी। मेरी रचना पढकर विचार दे।