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अमला

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आ जाओ न लौट कर । ऐसे बिन बताए क्यों चले गये । ये भी न सोचा की में कैसे रहूंगी तुम्हारे बिन । एक पल भी रह पाना तुम्हें देखे बिना चैन कहाँ आता है । नींद तो दूर की बात है ।' अमला अपने आप में बड़बड़ा रही ...

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लेखक के बारे में
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Jaya Pant

मैं एक अध्यापिका हूँ।जीवन के उतार चढ़ावों को जब अंतर्मन से महसूस करती हूँ तो कुछ लिख लेती हूं। माँ सरस्वती की मुझ पर असीम अनुकम्पा है।खुश होती हूं तो लिखती हूं दुखी होती हूं तो लिखती हूं।चीजों को देखने का मेरा अपना अलग नजरिया है।इसलिये अलग अलग भाव होते हैं मेरी रचनाओं में।मैं प्रतिलिपि की आभारी हूं जिसने मुझे ये मंच प्रदान किया।सराहना के लिए पाठकों का हार्दिक धन्यवाद। साक्षी कविता हर एक पलऔर हर एक क्षण की है साक्षी मेरी कविता मेरे मन मंदिर के हर एक कक्ष की है साक्षी कविता. कविता की खिड़की से झांके मन की सभी भावनाएं, इसीलिए है रंग बदलती दुनियां की साक्षी कविता. है कभी छलकता प्रेम झलकती कभी घृणा कविताओं में वात्सल्य कभी कभी है क्रोध भय कभी कभी साहस व मोह मन चंचल है चंचल मन की वाचाल छवि मेरी कविता. जया पन्त (स्वरचित कविता )

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    ANJANA KUMARI
    02 जून 2022
    pyar to pyar hi hota hai
  • author
    किरण मिश्रा
    15 मई 2022
    बहुत सुंदर कहानी
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    ANJANA KUMARI
    02 जून 2022
    pyar to pyar hi hota hai
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    किरण मिश्रा
    15 मई 2022
    बहुत सुंदर कहानी