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अलविदा

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मेरा मेरे बच्चो से ये कहना कभी किसी को अलविदा ना कहना मैं खुद अपने पिता को byee नही कहती चलते समय जब तक दिखाई देने बंद ना हो जाये तब हूँ देखती रहती अलविदा शब्द अच्छा नही हो काश की ये ही ...

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लेखक के बारे में
author
Virat Ujjwal

मैं तो एक पागल हूं प्रतिलिपि पर आकर मेरा पागलपन बढ़ता है देना चाहती हूं हर किसी को सुकून......... पर मेरा खुद के सुकून का हर शब्द ना जाने कितने लोगों के एहसासों का क़त्ल करता है विराट उज्जवल हमारा तीन साल का बेटा है और हम अपने सुकूँ के लिये लिख रहे है हमें एक बेचैनी यहाँ खींच कर लायी है घड़ी की सुई एक जगह रूकती कहाँ है जिंदगी हर पल बदलती.... सभी की जिंदगी एक जैसी ना है काश हर कोई ये समझ जाता जितना जिसे मिला उतने में ही खुश रह पाता सुप्रभा चौधरी

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    Chandan Kumar
    15 जुन 2021
    बहुत खूब
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