आयुष सुबह उठ कर अपनी पैंट की थैली टटोलता फिर रहा था कभी दायें वाली कभी बाएं वाली। दायी बायी दोनो खाली अब हाँथ पीछे वाली पे डाली भई वो भी खाली गुस्से मे आयुष के मुह से निकली गाली उसी वक्त कमरे मे ...
आयुष सुबह उठ कर अपनी पैंट की थैली टटोलता फिर रहा था कभी दायें वाली कभी बाएं वाली। दायी बायी दोनो खाली अब हाँथ पीछे वाली पे डाली भई वो भी खाली गुस्से मे आयुष के मुह से निकली गाली उसी वक्त कमरे मे ...