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ऑखो मे मुस्कान!

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ऑखोमे मुस्कान चेहरेपर पिरोता है खुशियोकी लडी खुद हसता ओरोको हसता है घडी दो घडी.! सदियोसे ये चलता आया बात अभी की नही है! कोई बोले या ना बोले जुबापे खुशियाॅ वही लाता है.! जिन्दगी कैसी है एक दिन ...

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मोहन सोमलकर

श्री. गणेशाय नम: (अभंग) दर्शन घेऊन ॥ श्रीगणेशा करा॥ दोन हात धरा॥ त्याच्यापुढे ॥१॥ वंदन करावे॥ श्रीस्तवन गावे॥ आनंदी रहावे॥ नित्यदिनी॥२॥ सकळांचा राजा॥ तोच विघ्न हर्ता ॥ तोच सुखकर्ता ॥ श्रीगणेश ॥३॥ पुजन करुया॥ वंदन करुनी॥ शेंदूर धरुनी॥ दुर्वा वाहु॥४॥ मोहन सोमलकर नागपुर .

समीक्षा
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  • author
    02 सितम्बर 2023
    खूपच सुंदर आणि अप्रतिम ..👌👌👌👌👌
  • author
    02 सितम्बर 2023
    बेहतरीन......!🌟🌟🌟🌟🌟
  • author
    Rohini Bangar
    02 सितम्बर 2023
    खूप छान
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    02 सितम्बर 2023
    खूपच सुंदर आणि अप्रतिम ..👌👌👌👌👌
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    02 सितम्बर 2023
    बेहतरीन......!🌟🌟🌟🌟🌟
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    Rohini Bangar
    02 सितम्बर 2023
    खूप छान