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आखिरी खत

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अगस्त की उस शाम को मैं नेशनल पार्क में बैठा हुआ बार बार घड़ी देख रहा था। जानता हूँ कि बार बार घड़ी देखने से कोई फ़ायदा नहीं होने वाला था, मगर बस बैठे बैठे इसके अलावा कर भी क्या कर सकता था! कहाँ रह ...

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लेखक के बारे में

अपने बारे में ज़्यादा तो नहीं जानता पर इतना तजुर्बा है कि मैंने हमेशा उनको गलत साबित किया है, जो मुझे गलत समझ बैठते हैं! मैं कोई लेखक नहीं बस अपने मन में चलती हलचल को कुछ शब्द दे देता हूँ। अभी-अभी लिखना शुरू किया है। एक लंबा सफर तय करना है। अपनी कमियाँ सुधारनी है, और वक़्त दर वक़्त बेहतर होते चले जाना है। और आखिर में बस इतना ही कहना चाहूँगा कि, खुदको दरिया तुम्हें दरिया की रवानी लिख दूँ। आओ गुज़री हुई मौज वो पुरानी लिख दूँ। तुम जो मिल जाओ तो मिल जाये ज़माना मुझको, लम्हे-लम्हे पर नई एक कहानी लिख दूँ।।।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    kitttu "Kia"
    02 ഫെബ്രുവരി 2018
    meri hi khani h ...yeh to pr frk bs itna,hai ki yha,sath chod dia.pr mai mnjil tk pahuchne ke bd .hi chodungi. sth waqt kitna,b. lge ab. 😊😊😊
  • author
    29 ജൂണ്‍ 2018
    इतनी निराशा क्यो।मां बाप कितनी उम्मीदे जोडते है बच्चो से।दूसरे भाग को सकारात्मक मोड दे।मेरी राय है बाकी आपकी मरजी।मेरी रचना भी पढे।
  • author
    Sonali Soni
    23 ആഗസ്റ്റ്‌ 2017
    Mere sath v yahi same situation hai kb saanse tham jye koi thik nhi.same as my real lyf story.
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    kitttu "Kia"
    02 ഫെബ്രുവരി 2018
    meri hi khani h ...yeh to pr frk bs itna,hai ki yha,sath chod dia.pr mai mnjil tk pahuchne ke bd .hi chodungi. sth waqt kitna,b. lge ab. 😊😊😊
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    29 ജൂണ്‍ 2018
    इतनी निराशा क्यो।मां बाप कितनी उम्मीदे जोडते है बच्चो से।दूसरे भाग को सकारात्मक मोड दे।मेरी राय है बाकी आपकी मरजी।मेरी रचना भी पढे।
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    Sonali Soni
    23 ആഗസ്റ്റ്‌ 2017
    Mere sath v yahi same situation hai kb saanse tham jye koi thik nhi.same as my real lyf story.