pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

अकेलापन ( कविता )

5
9

ख्वाहिशों के बोझ तले मैं दबा जा रहा हूं, मैं अपने ही सागर में डूबा जा रहा हूं, छोड़कर चंद खुशियां भरी वादियों को, मैं अपने ही टूटे मकां में घर बनाए जा रहा हूं। निकला था सफर में कुछ बेनाम रिश्ते लिए, ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
નિલેશ ટાંક

SURAT, GUJARAT Insta I'd :- the_narrator_nilesh_tank

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    31 अक्टूबर 2023
    વાહ સરસ
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    31 अक्टूबर 2023
    વાહ સરસ