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अकेलापन

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निकल पड़े हैं घर से कुछ कमाने के लिए ना जाने कहां जाएंगे कुछ पता नहीं लगता पुरानी यादों से अभी मन नहीं बहका है साथ चलती हैं वो यादें जो जिया है अब तक सुना है कुछ पाने के लिए कुछ छोड़ना पड़ता है ...

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लेखक के बारे में
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Atul kumar Maurya
समीक्षा
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  • author
    Marut Kumar Rai
    25 ಜೂನ್ 2021
    बेहतरीन...जिंदगी की उलझनों को सुलझाने का प्रयास
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    Marut Kumar Rai
    25 ಜೂನ್ 2021
    बेहतरीन...जिंदगी की उलझनों को सुलझाने का प्रयास