pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

अजूबे की बेचैनी

4.3
245

एक अजीब बेचैनी से भरा रहता हूं इन दिनों उठता हूं और खुद को बाजार में पाता हूं ढेरों रंगबिरंगे सामान बिखरे हैं चारों ओर और मैं जानता हूं कि इनमें से ज्यादातर की मुझे जरूरत नहीं है मैं कार्ड से पेमेण्ट ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
आलोक पराड़कर

गोरखपुर में जन्म। करीब 25 वर्षों की पत्रकारिता, पहले वाराणसी और अब लखनऊ में। आज, दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, जनसंदेश टाइम्स और कल्पतरु एक्सप्रेस में नौकरी। समाचार संकलन एवं सम्पादन के साथ साहित्यिक-सांस्कृतिक पत्रकारिता में विशेष दखल, संगीत,कला और रंगमंच पर चिन्तनपरक लेखन। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में साक्षात्कार, समीक्षाएं, लेख एवं टिप्पणियां प्रकाशित। उस्ताद बिस्मल्लाह खान, गुदई महाराज, किशन महाराज, गिरिजा देवी, हरिप्रसाद चौरसिया, राजन-साजन मिश्र जैसे प्रसिद्ध कलाकारों का विशेष तौर पर सानिध्य। पं. किशन महाराज के 80 वें जन्मदिवस पर अभिनन्दन ग्रन्थ का सम्पादन। वाराणसी के विविध पक्षों और वाराणसी के रंगमंच पर अलग-अलग पुस्तकों का सम्पादन। दादा सम्पादकाचार्य बाबूराव विष्णु पराड़कर पर राष्ट्रीय दूरदर्शन द्वारा निर्मित वृत्तचित्र क्रान्तिकारी पत्रकार तथा लखनऊ दूरदर्शन की नगर कथा में वाराणसी, बांदा, चित्रकूट नगरों पर आधारित कार्यक्रमों के लिए शोध एवं आलेख। कविताएं भी लिखीं जो तद्भव, नया ज्ञानोदय, लमहीमें प्रकाशित।यूनेस्को एवं संस्कृति मंत्रालय की अस्पृश्य सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की संयुक्त योजना के अन्तर्गत रामलीला पर कार्य के लिए शोधवृत्ति। सम्प्रति लखनऊ से प्रकाशित कला, संगीत एवं रंगमंच की त्रैमासिक पत्रिक कलास्रोत के सम्पादक। 09415466001, [email protected]

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anant Paradkar
    29 ഒക്റ്റോബര്‍ 2015
    शहरी व ग्रामीण जीवन के द्वन्द्व की झलक। सार्थक कविता।
  • author
    shailendra Srivastava
    29 ഒക്റ്റോബര്‍ 2015
    यह हर एक मध्यम वर्ग के मुखिया की कहानी हैं।
  • author
    rajesh kumar
    29 ഒക്റ്റോബര്‍ 2015
    आज के समय का बहुत ही प्रभावी वर्णन इस कव‌िता के माध्यम से क‌िया गया है। अत‌ि उत्तम  
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anant Paradkar
    29 ഒക്റ്റോബര്‍ 2015
    शहरी व ग्रामीण जीवन के द्वन्द्व की झलक। सार्थक कविता।
  • author
    shailendra Srivastava
    29 ഒക്റ്റോബര്‍ 2015
    यह हर एक मध्यम वर्ग के मुखिया की कहानी हैं।
  • author
    rajesh kumar
    29 ഒക്റ്റോബര്‍ 2015
    आज के समय का बहुत ही प्रभावी वर्णन इस कव‌िता के माध्यम से क‌िया गया है। अत‌ि उत्तम