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ऐनक

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4.8

ऐनक नक चढ़ा ऐनक ,  करता अपनी मन मानी  , नासिका पर चड़, कान मरोड़े पल पल  , पहन ऐनक दुर्लभ लगता प्रत्येक प्राणी, दो डंडी का ढाँचा कांच संभाले रखता, आँखों को नई आस दिलाये रखता   ...