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ऐनक

4.8
7

ऐनक नक चढ़ा ऐनक ,  करता अपनी मन मानी  , नासिका पर चड़, कान मरोड़े पल पल  , पहन ऐनक दुर्लभ लगता प्रत्येक प्राणी, दो डंडी का ढाँचा कांच संभाले रखता, आँखों को नई आस दिलाये रखता   ...

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लेखक के बारे में
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Parul Gaur
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rajendra Patki
    21 मार्च 2021
    साधी सरल पर विचार उन्मुख
  • author
    Basant Dhokey
    19 जनवरी 2021
    nice enak
  • author
    Dr. Sunil Dixit
    09 जनवरी 2021
    bahut achi
  • author
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rajendra Patki
    21 मार्च 2021
    साधी सरल पर विचार उन्मुख
  • author
    Basant Dhokey
    19 जनवरी 2021
    nice enak
  • author
    Dr. Sunil Dixit
    09 जनवरी 2021
    bahut achi