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एक थी मीता

3.8
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अरे जानती हो ,मीता को ,वही जो तुम्हारे साथ पढ़ती थी । हाँ, हाँ क्या हुआ ? उसके साथ बहुत ही बुरा हुआ । क्या ? वह पागल सी हो गयी है ।अब मायके में ही रहती है। मेरी एक पुरानी सहेली उसके बारे में ...

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लेखक के बारे में
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डॉ. सरला सिंह

https://www.jeevanpath.com/ परिचय -- नाम --डॉ.सरला सिंह माता का नाम--स्व. कैलाश देवी पिता का नाम----स्व. श्री बासुदेव सिंह पति/पत्नि का नाम---श्री राजेश्वर सिंह जन्मतिथि -- चार अप्रैल जन्म स्थान--सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश शिक्षा--एम.ए., बी.एड. ,पी-एच.डी. कार्यक्षेत्र--टी.जी.टी.(हिन्दी) दिल्ली सामाजिक क्षेत्र विधा ---विशेष रूप से "छन्दमुकत"[email protected] प्रकाशन __"काव्यकलश","नवकाव्यांजलि" " "स्वप्नगंधा" सभी साझाकाव्य संकलन "जीवनपथ"काव्यसंग्रह शीघ्र प्रकाश्य द्वारा ,पौराणिक प्रबंध काव्यों में पात्रों का चरित्र । कविताओं का यूथएजेन्डा,नये पल्लव, काव्यरंगोली तथा गुफ्तुगू जैसी प्रसिद्ध साहित्यक पत्रिकाओं में प्रकाशन । दैनिक पत्रिकाओं यथा दिल्ली हमारा मैट्रो, उत्कर्ष मेल आदि में नियमित प्रकाशन । फेसबुक तथ व्हाट्सएप से जुड़े साहित्यिक ग्रुपों में नियमित रूप से कविताएँ भेजना । अनुराधा प्रकाशन दिल्ली । सम्मान - अन्य उप्लब्धियाँ- लेखन का उद्देश्य-सामाजिक विसंगतियांं दूर करना । [email protected]

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Asha Chandra
    26 जुन 2019
    सही ही कहा है उडान अपने परों से ही होती है यही वास्तविकता है
  • author
    DrDiwakar Sharma
    04 ऑगस्ट 2019
    अंधे प्यार की अपेक्षित परिणति जैसी होती है वैसी मीता की हुई।
  • author
    Dr Pratibha Saxena
    26 जुन 2019
    सरस ,सुगम ,समसामयिक एवं शिक्षाप्रद कथा
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    Asha Chandra
    26 जुन 2019
    सही ही कहा है उडान अपने परों से ही होती है यही वास्तविकता है
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    DrDiwakar Sharma
    04 ऑगस्ट 2019
    अंधे प्यार की अपेक्षित परिणति जैसी होती है वैसी मीता की हुई।
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    Dr Pratibha Saxena
    26 जुन 2019
    सरस ,सुगम ,समसामयिक एवं शिक्षाप्रद कथा