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आहुति

4.2
7210

सारा धुआँ छट चुका था | सत्तर साल की गायत्री के जले हुए मृत शरीर की चिता की तैयारी चल रही थी | लोग कह रह रहे थे कि वह अपने पिछले जन्मों के पापों की आहुति देकर अब मुक्त हो गयी है | यह सब सुन कर जया के ...

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लेखक के बारे में

जन्म तिथि और स्थान – ५ फरवरी राजस्थान - भारत ३ – शिक्षा – स्नातक संगीत ४ – कार्य क्षेत्र – साहित्य, संगीत, अध्यात्म और समाज सेवा ५ – प्रकाशित कृतियाँ – कुछ रचनाएँ पत्र – पत्रिकाओं में प्रकाशित ६ – सम्मान व पुरस्कार – गायन मंच पर ७ – संप्रति – स्वतंत्र लेखन ८ – ईमेल – [email protected]

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    BRIJ BHOOSHAN KHARE
    21 जून 2018
    बेहतरीन लेखन. पढ़ कर बहुत अच्छा लगा.
  • author
    shobhana tarun saxena
    19 अप्रैल 2018
    beautiful and nicely summarised story
  • author
    21 फ़रवरी 2018
    हृदयस्पर्शी रचना
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    BRIJ BHOOSHAN KHARE
    21 जून 2018
    बेहतरीन लेखन. पढ़ कर बहुत अच्छा लगा.
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    shobhana tarun saxena
    19 अप्रैल 2018
    beautiful and nicely summarised story
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    21 फ़रवरी 2018
    हृदयस्पर्शी रचना