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अहिल्या

4.4
1321

प्राचीन काल की बात है, गौतम ऋषि  न्याय दर्शन के महान विद्वान माने जाते  थे | उनका घर मिथिला के ब्रह्मपुरी में था | उस समय मिथिला के राजा ‘जनक’ थे | राजा जनक ...

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लेखक के बारे में

स्वतंत्र लेखन, हिन्दी

समीक्षा
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  • author
    जे एस नामदेव
    10 मई 2019
    बहुत अच्छी तरह से एक पौराणिक कथा को नये परिपेक्ष्य में नये तार्किक शब्दो का प्रयोग कर के कथा का समापन करते हुए नारी की महत्ता को उद्घाटित किया है।अहिल्या के श्राप को अहिल्या को प्रस्तरवत या स्थितिप्रज्ञ कहना और राम के द्वारा समाज में अहिल्या के सम्मान की प्रतिस्थापना एवं सामाजिक स्वीकृति जैसे शब्दों के प्रयोग से कहानी को नये परिपेक्ष्य में समझने में मदद मिलेगी।सराहनीय प्रयास।
  • author
    मनोरंजन सहाय
    11 मई 2019
    एक पौराणिक कथा को आधुनिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत कर लेखिका ने साहित्यकार का सामाजिक दायित्व का अभिनव प्रयास किया है। पौराणिक कथाओं के प्रति इसी तरह नये दृष्टिकोण से देखे जाने की आवश्यकता है। लेखिका ने साहित्यकारों को एक नया दिशाबोध किया है। इस नवीन दृष्टिकोण से कथा प्रस्तुति के साधुकार्य के लिये हार्दिक बधाई।
  • author
    indu sharma
    12 मई 2019
    बहुत सुन्दर प्रस्तुतीकरण मैंने सुना है माता अहिल्या का इतना तेज था कि वह हवन में आहुतियाँ देते समय जो पसीने की बुन्दे टपकती थी उसकी खुशबु के कारण देवगण आकर्षित होते थे
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    जे एस नामदेव
    10 मई 2019
    बहुत अच्छी तरह से एक पौराणिक कथा को नये परिपेक्ष्य में नये तार्किक शब्दो का प्रयोग कर के कथा का समापन करते हुए नारी की महत्ता को उद्घाटित किया है।अहिल्या के श्राप को अहिल्या को प्रस्तरवत या स्थितिप्रज्ञ कहना और राम के द्वारा समाज में अहिल्या के सम्मान की प्रतिस्थापना एवं सामाजिक स्वीकृति जैसे शब्दों के प्रयोग से कहानी को नये परिपेक्ष्य में समझने में मदद मिलेगी।सराहनीय प्रयास।
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    मनोरंजन सहाय
    11 मई 2019
    एक पौराणिक कथा को आधुनिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत कर लेखिका ने साहित्यकार का सामाजिक दायित्व का अभिनव प्रयास किया है। पौराणिक कथाओं के प्रति इसी तरह नये दृष्टिकोण से देखे जाने की आवश्यकता है। लेखिका ने साहित्यकारों को एक नया दिशाबोध किया है। इस नवीन दृष्टिकोण से कथा प्रस्तुति के साधुकार्य के लिये हार्दिक बधाई।
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    indu sharma
    12 मई 2019
    बहुत सुन्दर प्रस्तुतीकरण मैंने सुना है माता अहिल्या का इतना तेज था कि वह हवन में आहुतियाँ देते समय जो पसीने की बुन्दे टपकती थी उसकी खुशबु के कारण देवगण आकर्षित होते थे