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अहम ब्रह्मास्मि

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अहम् ब्रह्मास्मि ….…….……. हे मानव, तुम मानव हो या कि ब्रह्म जब तुम ब्रह्म लगे तो सारी आस्थाएं , सारे विश्वास तुम्हारे चरणों में रख दिए यह सोचकर कि ब्रह्म तो सारे ब्रह्मांड के लिए है, कभी व्यक्त ...

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लेखक के बारे में
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Santosh Upadhyay

शब्दों की दुनिया में विचरण कर कुछ रचना लेकिन निहायत ही सलीके और अनुशासित तरीके से......रचनात्मक दृष्टि से तो मेरा यही परिचय है । वैसे मैं डॉ.संतोष उपाध्याय के नाम से जानी जाती हूं। कॉलेज में सहायक आचार्य के रूप में कार्यरत हूं।ज्यादा तो नहीं एक दो पत्रिकाओं में कहानी प्रकाशित हुई है। बस लिखती हूं.....

समीक्षा
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    लेखक Vyoum ji
    03 मई 2020
    आप की रचना पढ़ी सुन्दर लिखा है आप ने मैं भी एक धारावाहिक शुरू कर रहा हु अतः आप भी मेरा लिखा पढे और अपनी समीक्षा दे "vyoum", को प्रतिलिपि पर पढ़ें : https://hindi.pratilipi.com/series/fahqmayxohtv?utm_source=android&utm_campaign=content_series_share भारतीय भाषाओमें अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और सुनें, बिलकुल निःशुल्क!
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    लेखक Vyoum ji
    03 मई 2020
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