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अग्नि परीक्षा

4.6
249

‘हे सीता मैं तो अवगत हूँ, तुम्हें रावण नहीं था छू सकता पर बिना प्रमाण दिए जग को, निश्चिंत नींद नहीं सो सकता ऐसी परीक्षा दो सीते, संदेह न कोई रह जाएँ यह जग माने तुम देवी हो, इतिहासकार यही कह जाएँ

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लेखक के बारे में

नमस्ते, अपनी रचनाओं के साथ मैं आपके सामने उपस्थित हूँ | मेरी अधिकतर रचनाएँ तब की हैं जब मैं स्कूल या कॉलेज में पढ़ता था | उस समय प्रेम और भावनाएं मुझे बहुत आकर्षित करती थीं, इसलिए मेरी कहानियों और कविताओं में थोडा युवा होते मन की झलक मिलेगी | आपसे गुजारिश है कि मेरी कहानियों और कविताओं को पढ़ें, इसमें कुछ सुधार की आवश्यकता महसूस हो तो मुझे बताकर बेहतर बनाने में मदद करें | शुभकामनाओं सहित, आपका अतुल कुमार पाण्डेय

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Raksha Vaishnav
    28 दिसम्बर 2019
    धन्य हैं, आपकी कलम।👌👌👌👌👌
  • author
    17 जनवरी 2022
    very nice 👌❤️
  • author
    POOJA TIWARI "POOJA"
    27 अप्रैल 2018
    nice
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    Raksha Vaishnav
    28 दिसम्बर 2019
    धन्य हैं, आपकी कलम।👌👌👌👌👌
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    17 जनवरी 2022
    very nice 👌❤️
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    POOJA TIWARI "POOJA"
    27 अप्रैल 2018
    nice