pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

"अघोरी: कर्म का अंतहीन पाश"–5

5
7

रक्त-महल का अँधेरा अब अद्वैत को निगलने को तैयार था। निशाचरिका की चेतावनी–"तुम्हें अपने अतीत का सामना करना होगा... अपने वंश के पापों का प्रायश्चित करना होगा।" उसके दिमाग में गूँज रही थी, हर शब्द एक ...

अभी पढ़ें
"अघोरी: कर्म का अंतहीन पाश"–6
"अघोरी: कर्म का अंतहीन पाश"–6
शशांक कुमार सिंह "शशांक"
ऐप डाउनलोड करें
लेखक के बारे में

कभी रिश्तों की उलझन, कभी ख्वाबों का किनारा, मैं हूँ कहानियों का सृजनहार, हर जज़्बात को सवारा...✍️✍️ 🇮🇳

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है