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अगर तुम ना होती

4.4
21841

मैं अखबार  पढ़ रहा था बड़े ही आराम से क्योंकि आज रविवार जो था सर्दियों का समय था हल्की हल्की धूप अच्छी लग रही थी . . . . ओर यही एक दिन होता है जब एक काम करने वाला भी थोड़ा समय अपनो के साथ बीता सकता ...

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m.sc chemistry student

समीक्षा
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  • author
    Surabhi Sharma
    19 ऑगस्ट 2017
    jo apne kbi the hi nai sirf apnepan ka dikhawa kr rhe the unke liye q roya jaye...
  • author
    19 ऑगस्ट 2017
    बहुत करीब से देखा है । ये सब मगर अपना हौसला कभी नहीं खोया है । सीधे कहा शादी करो । या जिंदगी से जाओ । बस मानसिक वेदना आँखों से आँसू और सिगरेट यही जिंदगी हो गई थी ।
  • author
    26 डिसेंबर 2016
    मैंने पढ़ ली आपकी कहानी ..... अच्छी है .... कुछ कुछ समानताये है सच में ......
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    Surabhi Sharma
    19 ऑगस्ट 2017
    jo apne kbi the hi nai sirf apnepan ka dikhawa kr rhe the unke liye q roya jaye...
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    19 ऑगस्ट 2017
    बहुत करीब से देखा है । ये सब मगर अपना हौसला कभी नहीं खोया है । सीधे कहा शादी करो । या जिंदगी से जाओ । बस मानसिक वेदना आँखों से आँसू और सिगरेट यही जिंदगी हो गई थी ।
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    26 डिसेंबर 2016
    मैंने पढ़ ली आपकी कहानी ..... अच्छी है .... कुछ कुछ समानताये है सच में ......