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अगर तुम कहो

4.5
41254

कई हादसे आदमी की कमर तोड़ देते हैं। सपने फिर भी उसकी मरहम-पट्टी करते हैं। किन्तु कई बार आदमी की आँखों में एक ही सपना अटककर रह जाता है। न तो वह पीछे हटता है और न आगे चलता है। यह भी एक "हादसा" होता ...

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लेखक के बारे में
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सुनील आकाश

मेरा मोबाइल नम्बर है : 8899144803. मैं हिंदी लेखक हूँ । असली नाम है -- सुनील रस्तोगी (पुत्र स्व.राजेन्द्र प्रसाद रस्तोगी)। पिछले 40 वर्षों से लेखन में हूँ। अब भी यह सफर जारी है। उपन्यास, कहानी, गीत, ग़ज़ल, कविताएँ व अखबारों के लिये संपादकीय लेख लिखता रहा हूँ। 'प्रतिलिपि' पर मेरे 30 उपन्यास प्रकाशित हैं। इनमें से 5 उपन्यास प्रिंटेड बुक्स के रूप में भी आ चुके हैं। शेष सब 'प्रतिलिपि' पर ऑनलाइन प्रकाशित हैं। 'देखा प्यार तुम्हारा', 'तुम बिन', 'नज़राना', 'मेरी लाश कहाँ गई' के बाद अब 'सोलमेट' उपन्यास प्रकाशित हो रहा है। "प्रतिलिपि" पर आने से पहले भी, मेरे सैकड़ों कहानियाँ, गीत, ग़ज़ल व अन्य लेखादि देश के चिर-परिचित अखबार या पत्रिकाओं में दशकों से छपते रहे हैं; जैसे---पंजाब केसरी, विश्व मानव, सानुबँध, जाह्नवी, धर्मयुग, कथालोक, कथाबिम्ब, विश्व ज्योति, दर्पण, जग़मग दीप ज्योति, सुपर ब्लेज आदि। शिक्षा :'पी.जी.डी.--जर्नलिज्म', बी.ए. (हिंदी), 'कहानी लेखन' में डिप्लोमा। आयुर्वेद से 'चिकित्सा स्नातक' की डिग्री भी। व्यवसाय : शैक्षिक पुस्तकों के "गोयल ब्रदर्स प्रकाशन, नोएडा" के सम्पादकीय विभाग के 'हिंदी प्रभाग' में थे। (अब रिटायर्ड) पुरस्कृत-सम्मानित रचनाएँ : टेलीग्राम (कहानी, प्रथम पुरस्कार), बदलते रिश्ते (उपन्यास, द्वितीय पुरस्कार), शेषनाग, जलती हुई तीलियाँ, अंधेरी गुफ़ा, रेगिस्तान आदि (तृतीय पुरस्कार प्राप्त) कहानियां हैं। सम्मान : प्रेमचंद लेखक पुरस्कार, 'साहित्य श्री' अवार्ड, प्रतिलिपि कहानी सम्मान, भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान- 2024 आदि। निवास : सी-26, रेलवे रोड, मॊदीनगर-201204 (उ.प्र.)

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    nidhi Bansal "Nidhi"
    25 August 2018
    ऐसा लग रहा था जैसे कोई चलचित्र आंखो के सामने चल रहा हो। मै तो डूब ही गई आपकी कहानी में।
  • author
    Avni Sharma
    07 December 2020
    अहसासों को बयां करने को शब्दों की जरूरत नही पड़ती, खामोशी में भी बयां हो जाते है अक्सर खूबसूरत अहसास।।। beautiful written ❤️👌
  • author
    Krishna Rao
    03 October 2018
    best story but kya vo us kai ghar gya kya bhuve or avinash nai fir sai shadi ke
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    nidhi Bansal "Nidhi"
    25 August 2018
    ऐसा लग रहा था जैसे कोई चलचित्र आंखो के सामने चल रहा हो। मै तो डूब ही गई आपकी कहानी में।
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    Avni Sharma
    07 December 2020
    अहसासों को बयां करने को शब्दों की जरूरत नही पड़ती, खामोशी में भी बयां हो जाते है अक्सर खूबसूरत अहसास।।। beautiful written ❤️👌
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    Krishna Rao
    03 October 2018
    best story but kya vo us kai ghar gya kya bhuve or avinash nai fir sai shadi ke