"गूँजते हैं सन्नाटे, ये ख़ामोशी मुझसे मेरी कहती है।
दुनिया की सबसे तन्हा जगह मेरे ही अंदर रहती है।"
इन दो लाइनों में मेरा पूरा परिचय छुपा हुआ है। पिछले 12 वर्षों से बड़ी-बड़ी फ़ूड कंपनीयों में काम करने का मौका मिला पर शुकुन कहीं नही मिला। गर कहीं मिला तो अपनी रचनाओं में, दसवीं क्लास से ही जब भी तन्हा हुआ, उदास हुआ तो अपने हर अहसास को एक रचना का रूप दे दिया जो मेरी डायरी से लेकर फसबूक के पेज तक महफूज है। प्रतिलिपि ने नया मंच दिया है। और ज्यादा जानने और पढ़ने के लिये मेरे पेज "Brijesh Chand My Heart speak With My Poem " से जुड़े।
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