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अफसाना

4.2
2738

उसका हर अफ़साना बस एक फ़साना निकाला, मैं ही क्या हर कोई यहां उसका दीवाना निकला। जहाँ भर की बेवफाई उसने आँखों में छुपा रखी थी यह सारी दुनियां जिसकी नजरो का दीवाना निकला। बड़ा खिलाडी है वो खेलता रहता ...

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लेखक के बारे में
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बृजेश चन्द

"गूँजते हैं सन्नाटे, ये ख़ामोशी मुझसे मेरी कहती है। दुनिया की सबसे तन्हा जगह मेरे ही अंदर रहती है।" इन दो लाइनों में मेरा पूरा परिचय छुपा हुआ है। पिछले 12 वर्षों से बड़ी-बड़ी फ़ूड कंपनीयों में काम करने का मौका मिला पर शुकुन कहीं नही मिला। गर कहीं मिला तो अपनी रचनाओं में, दसवीं क्लास से ही जब भी तन्हा हुआ, उदास हुआ तो अपने हर अहसास को एक रचना का रूप दे दिया जो मेरी डायरी से लेकर फसबूक के पेज तक महफूज है। प्रतिलिपि ने नया मंच दिया है। और ज्यादा जानने और पढ़ने के लिये मेरे पेज "Brijesh Chand My Heart speak With My Poem " से जुड़े।

समीक्षा
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    0 0
    16 मई 2023
    Nice G
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    Rijvan Khan
    22 जून 2020
    बहुत सुंदर रूप दिया है आप ने एक बेवफ़ाई को अपनी इस गज़ल से पढ़ कर अच्छा लगा।
  • author
    22 मार्च 2019
    उम्दा गजल है ज़नाब , पसंद आया ।
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    16 मई 2023
    Nice G
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    Rijvan Khan
    22 जून 2020
    बहुत सुंदर रूप दिया है आप ने एक बेवफ़ाई को अपनी इस गज़ल से पढ़ कर अच्छा लगा।
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    22 मार्च 2019
    उम्दा गजल है ज़नाब , पसंद आया ।